उज्जैन
इंदौर की कान्ह नदी का गंदा पानी दिसंबर 2027 के बाद क्षिप्रा नदी को प्रदूषित नहीं कर पाएगा। न ही हर पर्व स्नान के लिए नर्मदा से करोड़ाें रुपए का पानी खरीदना पड़ेगा। इसी दावे के साथ कान्ह डायवर्जन की नई योजना पर काम शुरू कर दिया है। नाम है- क्लोज डक्ट।
इसमें 18 किमी की डक्ट होगी और 12 किमी लंबी टनल रहेगी। इंदौर रोड़ स्थित जमालपुरा से शुरू हुई इस योजना का 20% काम हो चुका है। जल संसाधन विभाग के माध्यम से 400 मजदूर, इंजीनियर व तकनीकी एक्सपर्ट की टीम इसे पूरा कर रही है। इससे पहले कान्ह डायवर्जन के नाम पर पिछले सिंहस्थ में 150 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
राघोपिपलिया से लेकर कैडी पैलेस तक बड़े पाइप डालकर कान्ह के गंदे पानी को डायवर्ट किया था, लेकिन यह योजना फेल हो गई। पाइपों की ज्वाइंट की इंजीनियरिंग ठीक नहीं थी। वशिष्ठ कंस्ट्रक्शन हैदराबाद के साइट इंजीनियर बृजेंद्र राजपूत ने बताया इस बार हर किमी के लिए इंजीनियर व तकनीकी एक्सपर्ट लगे हैं।
कान्ह नदी के डायवर्सन के लिए इंदौर रोड स्थित जमालपुरा से बनाई जा रही टनल की पहली तस्वीर। दावा है कि इस योजना का 20% काम हो चुका है। दिसंबर 2027 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के अनुसार, क्षिप्रा को कान्ह के गंदे पानी से मुक्त करने के लिए यह एक बहुत कारगर योजना है।
कान्ह का दूषित जल नहीं मिल सकेगा क्षिप्रा में
कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग मयंक सिंह ने बताया कि 919.94 करोड़ लागत की कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना के कार्य मौके पर प्रारंभ हो गए हैं, जिसमें ग्राम बमोरा और देवराखेड़ी में टनल बिछाने के लिए खुदाई और ग्राम जमालपुर में कट एंड कवर का कार्य जारी है. उन्होंने बताया कि यह परियोजना सिंहस्थ के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी. सन 2052 तक के सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना में 40 क्यूमैक्स जल बहाव क्षमता का भूमिगत क्लोज डक्ट का निर्माण किया जा रहा हैं, जिससे जमालपुर के समीप कान्ह नदी पर बैराज निर्माण कर दूषित जल को टनल में भेजा जाएगा, जिससे कान्ह का दूषित जल क्षिप्रा में नहीं मिल सकेगा.
सेवरखेड़ी-सिलारखेडी मध्यम सिंचाई परियोजना
क्षिप्रा नदी को निरंतर प्रवाहमान बनाए रखने लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए 614.53 करोड़ की विभाग को प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई हैं, जिसकी कार्य एजेंसी निर्धारित कर जल्द मौके पर कार्य प्रारंभ किया जा रहा है.
परियोजना में सेवरखेड़ी में बैराज का निर्माण कर मानसून के समय बैराज से 51 मिली घन मीटर जल को लिफ्ट कर सिलारखड़ी जलाशय में डाला जाएगा, जिसके लिए सिलारखेड़ी जलाशय का विस्तार भी किया जाएगा. परियोजना से ग्रीष्म ऋतु में भी क्षिप्रा नदी प्रवाहमान बनी रहेगी. परियोजना को पूर्ण करने के लिए 30 माह लक्ष्य निर्धारित किया गया.
कान्ह और क्षिप्रा नदी पर बनाए जाएंगे बैराज
क्षिप्रा शुद्धिकरण के लिए कान्ह नदी पर 5 और क्षिप्रा नदी पर 1 बैराज का निर्माण किया जाएगा, जिसके लिए कुल 36.6 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई है, जिसमें 6.24 करोड़ की लागत से गोठड़ा स्टॉपडेम, 5.06 करोड़ की लागत से पिपलिया राघो बैराज, 6.35 करोड़ की लागत से रामवासा बैराज , 4.56 करोड़ की लागत से जमालपुरा स्टॉपडेम, 5.74 करोड़ की लागत से पंथपीपलई स्टॉपडैम और क्षिप्रा नदी पर 8.71 करोड़ की लागत से किठोदाराव बैराज का निर्माण किया जाएगा.
क्लोज डक्ट योजना की टेंडर शर्त के अनुसार, 15 साल तक कंपनी को ही पूरा मेंटेेनेंस करना होगा। पिछली बार जो कान्ह डायवर्जन योजना थी, उसमें टेंडर में ये शर्तें नहींं थी। नई योजना में वर्षाकाल के बाद के पानी को बायपास करने की मात्रा पिछली कान्ह योजना से लगभग 7-8 गुना ज्यादा होगी। जो डक्ट बनेंगे, उनकी आसानी से जेसीबी तक की मदद से सफाई हो सकेगी। कुल मिलाकर हमारे सारे स्नान पर्व क्षिप्रा में बिना गंदे पानी के हो सकेंगे।
5 मीटर गहरी, 5 मीटर चौड़ी टनल
पहले कान्ह डायवर्जन में सही से इंजीनियरिंग नहीं हुई, जिससे पाइपों के ज्वाइंट ठीक नहीं बैठ पाए। योजना फेल हुई। नई योजना में 400 लोगों की दक्ष टीम लगाई है। 5 मीटर गहरी व 5 मीटर चौड़ी टनल बना रहे है, इतनी ही लंबी-चौड़ी डक्ट रहेगी। दिसंबर 2027 में काम पूरा कर देंगे और 15 साल तक कंपनी ही मेंटेनेंस करेगी। -इंजीनियर शुभम पांडेय, डिप्टी प्रोजेक्ट इंचार्ज

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