महाकुंभ कब होगा शुरू, कुंभ पर्व में ग्रह-राशियों के योग की भूमिका
कुंभ पर्व दुनियाभर का सबसे धार्मिक, पवित्र, सांस्कृतिक और विशाल मेला है, जोकि पूरे 45 दिनों तक चलता है. इसका आयोजन 12 वर्ष के अंतरात में होता है. यह मेला आध्यात्मिक और एकता का प्रतीक है. इस दौरान करोड़ों की संख्या में भक्त पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं. साल 2025 में कुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होगा, जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. हाल में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 के लोगो का भी अनावरण किया. कुंभ पर्व समय-समय पर भारत के चार प्रमुख स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन) में आयोजित किया जाता है, जिसमें सबसे विशाल मेला प्रयागराज में होता है. लेकिन कुंभ मेला कब और कहां आयोजित होगा, इसमें ग्रहों और राशियों की खास भूमिका होती है. सूर्येन्दुगुरु संयोगस्तद्राशौ यत्र वत्सरे। सुधा सुंभ प्लवे भूमो कुंभो भवतिनान्यथा।। अर्थ है: अमृत बिंदु पतन के समय जिन राशियों में सूर्य-चंद्रमा-गुरु की स्थिति रही, उन्हीं राशियों में सूर्य-चंद्रमा और गुरु के संयोग होने पर कुंभ का आयोजन होगा. इन योगों के अभाव में कुंभ का आयोजन नहीं हो सकता. प्रयागराज में कुंभ पर्व का आयोजन कब? कुंभ पर्व के लिए सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह की भूमिका महत्वपूर्ण है. जब सूर्य और बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तब कुंभ मेले का आयोजन होता है. वहीं जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है. 2025 में महाकुंभ कब? महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है, जोकि 13 जनवरी 2025 को है. वहीं महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2024 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा. कुंभ पर्व 2025 शाही स्नान तिथियां पौष पूर्णिमा स्नान- 13 जनवरी 2025 मकर संक्रांति- 14 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या- 29 जनवरी 2025 बसंत पंचमी- 3 फरवरी 2025 माघी पूर्णिमा- 12 फरवरी 2025 महा शिवरात्रि – 26 फरवरी, 2025 12 कुंभ पर्व में केवल 4 कुंभ ही मान्य क्यों? देवानां द्वादशाहोभिर्मर्त्यै द्वादश वत्सरे:। जायन्ते कुम्भपर्वाणि तथा द्वादश संख्यया।। तत्राध्रुतात्तयेनूपांचत्वरों भुवि भारते। अष्टौलोकान्तरे प्रोक्तादेवैर्गम्यानचेतरै:।। पृथिव्यां कुम्भायोगस्य चतुर्धा भेद उच्यते। विष्णु द्वारे तीर्थराजेवन्त्यां गोदावरी तटे, सुधा बिंदु विनिक्षेपात् कुम्भपर्वति विश्रुत:।। अर्थ है: देवताओं के 12 दिन और मनुष्यों के 12 वर्ष में कुल 12 कुंभ पर्व होते हैं. लेकिन अमृत बिंदु के पतन से पृथ्वी पर मनुष्यों के लिए केवल 4 कुंभ ही होंगे. शेष 8 कुंभ पर्व देवताओं के लिए लोकांतर में होते हैं. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है। और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र mysecretnews.com recent visitors 131