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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, दुनियाभर में तेजी से आंखों से संबंधित समस्या मायोपिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं

नईदिल्ली साल 2019 के अंत में शुरू हुई कोविड-19 महामारी का असर अब भले ही हल्का हो गया है पर संक्रमण का खतरा वैश्विक स्तर पर अब भी बना हुआ है। वायरस में म्यूटेशन से उत्पन्न होने वाले नए-नए वेरिएंट्स विशेषज्ञों की चिंता बढ़ाते रहे हैं। इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दुनियाभर में बढ़ती एक नई महामारी को लेकर लोगों को अलर्ट किया है। विशेषज्ञों ने कहा, हम सभी तकनीक से प्रेरित इस दुनिया में दिनभर किसी ने किसी तरह के स्क्रीन से चिपके रहते हैं। मोबाइल, टेलीविजन हो या लैपटॉप, इनके अधिक उपयोग के कारण हमारा स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है जो एक नई महामारी को जन्म दे सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, दुनियाभर में बहुत तेजी से आंखों से संबंधित समस्या, विशेषतौर पर मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह बच्चों में सबसे ज्यादा रिपोर्ट की जा रही समस्या है जिसके कारण कम दिखाई देने और समय के साथ अंधेपन का खतरा बढ़ जाता है। अगर समय रहते इसे नियंत्रित करने के लिए प्रयास न किए गए तो अगले एक-दो दशक में वयस्कों की बड़ी आबादी मायोपिया से पीड़ित हो सकती है। ये निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है। मायोपिया के बढ़ते मामले स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बचपन में मायोपिया का निदान होने से जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है, यह सिर्फ चश्मे पर निर्भरता की समस्या नहीं है बल्कि इसके कारण ग्लूकोमा और रेटिनल डिटेचमेंट जैसी आंखों की अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी मायोपिया से पीड़ित हो सकती है। भारत में, बच्चों में मायोपिया की घटना लगातार बढ़ रही है। कोरोना महामारी ने इसके जोखिमों को और भी बढ़ा दिया है। मायोपिया के कारण मानसिक रोगों का खतरा नेत्र रोग विशेषज्ञ कहते हैं, ज्यादातर मामलों में मायोपिया का निदान बचपन में ही किया जाता है। ये समस्या सिर्फ आंखों तक ही सीमित नही हैं, इसके कारण मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है। मायोपिया के कारण बच्चों की विशिष्ट खेलों और अन्य गतिविधियों में भागीदारी कम हो जाती है। बाहर खेल-कूद में कमी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो सकता है। मायोपिया के शिकार लोगों में भविष्य में स्ट्रेस-एंग्जाइटी और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की अन्य विकारों का जोखिम अधिक हो सकता है। बच्चों में मायोपिया की बढ़ती समस्या ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बच्चों में मायोपिया की बढ़ती समस्या को लेकर अलर्ट किया गया है। 50 देशों में पांच मिलियन (50 लाख) से अधिक बच्चों और किशोरों पर किए गए शोध में पाया गया है कि एशियाई देशों में इसका जोखिम सबसे अधिक देखा जा रहा है। जापान में 85% और दक्षिण कोरिया में 73% बच्चे निकट दृष्टि दोष से ग्रस्त हैं, जबकि चीन और रूस में 40% से अधिक बच्चे इससे प्रभावित हैं। मायोपिया के बारे में जानिए नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) आंखों की गंभीर समस्या है, जिसमें रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट रूप से देखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। इसमें आंख का आकार बदल जाता है। सामान्यतौर पर आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश ठीक से फोकस नहीं कर पाता है। क्यों बढ़ रहे हैं मायोपिया के मामले 'द लैंसेट डिजिटल हेल्थ जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया था कि स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के जोखिम को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना मायोपिया के खतरे को 30 फीसदी तक बढ़ा देता है। इसके साथ ही कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण यह जोखिम बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा कोरोना महामारी की नकारात्मक स्थितियों जैसे लोगों को ज्यादा से ज्यादा समय घरों में बीतना, बाहर खेलकूद में कमी और ऑनलाइन क्लासेज के कारण आंखों से संबधित इस रोग के मामले और भी बढ़ गए हैं।  Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 86

मेनोपॉज का महिलाओं के यौन जीवन या यौन स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है

मुंबई मेनोपॉज महिलाओं के जीवन में होने वाला एक प्राकृतिक बदलाव है। जब एक महिला को लगातार 12 महीनों तक मासिक धर्म नहीं आता, तो इस स्थिति को मेनोपॉज के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर महिलाओं को 45 से 50 साल की उम्र तक मेनोपॉज की अवस्था आ जाती है। जिसकी वजह से महिलाओं को कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, इस स्थिति का महिलाओं के यौन जीवन या यौन स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है। इस दौरान महिलाओं की यौन इच्छा में कमी आ सकती है। ऐसे में मेनोवेदा की फाउंडर और मेनोपॉज कोच तमन्ना सिंह से जानते हैं आखिर मेनोपॉज का महिलाओं के जीवन और सेक्सुअल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है। मेनोपॉज महिलाओं के यौन स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन्हीं हार्मोनल बदलावों की वजह से, महिलाओं को अपने यौन जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है। जिसकी वजह से वजाइन में ड्राइनेस की समस्या, वजाइना में दर्द और असुविधा का भी अनुभव होने लगता है। इन समस्याओं की वजह से महिला को यौन क्रियाओं में मुश्किल महसूस हो सकती है। जिससे महिलाओं में यौन इच्छा में कमी हो सकती है। मेनोपॉज के दौरान यौन स्वास्थ्य में बदलाव होने पर क्या करें? मेनोपॉज के दौरान यौन स्वास्थ्य प्रभावित होने पर महिलाओं को तनाव महसूस हो सकता है। जिसकी वजह से उनके आत्मविश्वास की कमी आ सकती है। ऐसे में महिला को अपने पार्टनर से खुलकर बातचीत करनी चाहिए, उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताएं। -मेनोपॉज के दौरान महिला को अपनी स्थिति को लेकर डॉक्टर से भी कंसल्ट करना चाहिए। डॉक्टर कुछ दवाइयों की मदद से यौन जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर कर सकते हैं। -यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद भी ली जा सकती है। -मेनोपॉज के दौरान महिला को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए। हेल्दी खाना खाएं और अनहेल्दी फूड्स से दूरी बनाकर रखें। -मेनोपॉज के दौरान तनाव और चिंता से बाहर निकलने के लिए मेडिटेशन जरूर करें। -फिट और हेल्दी बने रहने के लिए योग और एक्सरसाइज जरूर करें। रजोनिवृत्ति में योनि संबंधी लक्षण मासिक धर्म की अनियमितता, नए दर्द और पीड़ा, मनोदशा में बदलाव, कामेच्छा में कमी और संज्ञानात्मक क्षमता में कमी इस समय आम शिकायतें हैं जिनकी गंभीरता और दैनिक जीवन पर प्रभाव अलग-अलग डिग्री के साथ होते हैं ( बीएमएस अगस्त, 2023 )। रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में उतार-चढ़ाव और गिरावट के कारण कुछ लोग कुछ दिनों में सामान्य कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं, वे उदास महसूस करते हैं, उनमें आत्मविश्वास या प्रेरणा की कमी होती है तथा वे एक सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक दिन में लाल चकत्ते और रात में पसीने से तर-बतर हो जाते हैं। सलाह मेनोपॉज के दौरान, यौन स्वास्थ्य में आने वाले बदलाव बेहद सामान्य हैं। इसलिए आपको इनके प्रति जानकारी रखना बेहद जरूरी है। मेनोपॉज के दौरान अगर आपको कुछ असामान्य लक्षणों का अनुभव हो, तो मेनोपॉज एक्सपर्ट से जरूर संपर्क करें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 27