हिंदू धर्म में पूर्णिमा की तिथि बड़ी पावन मानी गई है. साल में 12 पूर्णिमा पड़ती है. इस तरह हर माह में एक पूर्णिमा तिथि पड़ती है. फाल्गुन माह में जो पूर्णिमा पड़ती है उसे फाल्गुन पूर्णिमा कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान-दान से पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा पितरों की आत्मा को शांति दिलाने के लिए भी बहुत लाभकारी मानी गई है.
हिंदू धर्म शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पितरों की आत्मा को शांति दिलाने के साथ पितृ दोष के मुक्ति पाने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैंं. मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इन उपायों को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों के आशीर्वाद से घर में सुख-शांति बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में.
फाल्गुन पूर्णिमा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगी. वहीं इस तिथि का समापन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च को मनाई जाएगी. वहीं फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च 2025 को रखा जाएगा.
दक्षिण दिशा में चौमुखी दीपक जलाएं
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में चौमुखी दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद पितृ स्तोत्र पढ़ना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
भोजन का दान
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भोजन का दान करना चाहिए. इसके अलावा किसी गाय, कुत्ते या कौवे को रोटी खिलानी चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने सेपितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
पितरों का तर्पण
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन गंगा के अलावा किसी और पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
चंद्र देव को अर्घ्य
पूर्णिमा की रात चंद्र देव को कच्चे दूध में सफेद फूल डालकर अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं.साथ ही पृत दोष से छुटकारा मिलता है.

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