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भोपाल

मध्य प्रदेश सरकार महिला एवं बालिका सशक्तीकरण के लिए नीति बनाने जा रही है। नीति बनाने के लिए राज्य सरकार जनता से सुझाव लेगी। वहीं प्रदेश के समस्त विभागों को भी नीति बनाने के लिए सहयोग करने को कहा गया है। इसके लिए विभागवार एक महिला अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।

ये महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ नीति बनाने के लिए अपने-अपने विभागों में महिला एवं बालिका संबंधित संचालित विभागीय योजनाओं की जानकारी साझा करेंगे। इसके साथ ही नीति बनाने में सहयोग करेंगे। वहीं जनता से भी ई-मेल और पत्र के माध्यम से सुझाव लिए जाएंगे।

मैदानी अधिकारी भी अपने-अपने क्षेत्र में जनता से संपर्क कर उनके सुझाव लेंगे और सरकार को भेजेंगे। इन सुझावों के आधार पर महिला एवं बालिका सशक्तीकरण नीति तैयार की जाएगी। बता दें कि इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जून माह में दो दिवसीय राज्य स्तरीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन भी किया गया था। 45 से अधिक विभागों के प्रतिनिधियों ने इसमें सहभागिता की थी।

कार्यशाला में आए सुझावों के आधार पर बालिकाओं की सुरक्षा, कानून, आजीविका और कौशल विकास के अवसर, जेंडर, पंचायत आदि को लेकर समग्र नीति तैयार की जा रही है। इस कार्य में एनजीओ तथा सामाजिक संस्थाओं को भी जोड़ना जाएगा।

समान अधिकार प्राप्त करने करना पड़ता है संघर्ष
सरकार का मानना है कि महिलाओं को आज सभी क्षेत्रों में वैधानिक रूप से समान अधिकार प्राप्त है लेकिन समाज में उन्हें आज भी इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है। महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना उनके पूरे भविष्य को तय करता है। महिला सशक्तीकरण एक बहुआयामी दृष्टिकोण है जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, विधिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं का समावेश है। इधर, महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि महिला नीति मात्र कागजी दस्तावेज न बने, इसे मेनिफेस्टो के रूप में तैयार करें।

सभी ऐसे विभाग जो महिला सशक्तीकरण के पहलुओं से अनछुए है, उन्हें भी शामिल करें। महिला सशक्तीकरण के कई घटक है जैसे शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, कानून आदि। नीति में महिलाओं के मानव अधिकार, उनकी भागीदारी, हिंसा जैसी कुरीतियों को कैसे दूर किया जा सकता है, उसका भी समावेश होगा।

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