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नई दिल्ली
भारत का एग्रोकेमिकल सेक्टर अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में 7 से 9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 25) में सेक्टर की वृद्धि दर 5 से 6 प्रतिशत रह सकती है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में शुक्रवार को दी गई। क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वृद्धि की वजह स्थिर घरेलू मांग और निर्यात की वॉल्यूम में रिकवरी होना है। रिपोर्ट में बताया गया कि ऑपरेटिंग मार्जिन में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। यह 100 आधार अंक बढ़कर 12 से 13 प्रतिशत हो गया है। हालांकि, यह महामारी के पूर्व के स्तर 15 से 16 प्रतिशत से कम है।

इससे कंपनियां पूंजीगत व्यय को लेकर सतर्क रहेंगी और अपने नकदी प्रवाह और बैलेंस शीट को स्थिर रखने के लिए कार्यशील पूंजी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि निर्यात से आय जो सेक्टर के कुल आय का आधा हिस्सा है। इसमें बदलाव देखा जा रहा है। सेठी ने कहा, "वैश्विक कंपनियों ने कम लागत वाली चीनी कंपनियों की आपूर्ति से संबंधित अपने अतिरिक्त इन्वेंट्री के मुद्दों को काफी हद तक हल कर लिया है और अब कार्यशील पूंजी के बेहतर प्रबंधन के लिए फसल के मौसम के करीब ऑर्डर दे रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि हम इस वित्त वर्ष में अच्छी मात्रा में वृद्धि की उम्मीद करते हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले चीनी कंपनियों के उत्पादों कारण आय वृद्धि 3-4 प्रतिशत पर मामूली रहेगी। अगले वित्त वर्ष में प्रतिस्पर्धी दबाव कम होने पर यह बढ़कर 7 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि इस वित्त वर्ष में कंपनियों की घरेलू स्तर पर आय में 8 से 9 प्रतिशत का उछाल देखने को मिल सकता है। इसकी वजह अच्छा मानसून और बांधों में पर्याप्त पानी होना है। इससे कृषि उत्पादन में इजाफा हो सकता है।

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