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उज्जैन
जल संकट की समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश को उज्जैन से एक नई राह मिली है। यहां की जिला पंचायत सीईओ जयति सिंह द्वारा शुरू किया गया ‘तीन रंगों वाला हैंडपंप मॉडल’ अब पूरे प्रदेश में लागू होने जा रहा है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरी ने इसे राज्यव्यापी नीति के तौर पर अपनाने के निर्देश दिए हैं। यह मॉडल महज रंगों का खेल नहीं है, बल्कि वर्षों से उपेक्षित हैंडपंपों की हालत बताने और सुधार की ठोस कार्ययोजना की नींव है। बंद हैंडपंपों को चालू कर देना हो या सीमित जल वाले पंपों की गहराई बढ़ाकर उन्हें उपयोगी बनाना, यह सब अब रंग देखकर तय हो रहा है। नवाचार के सकारात्मक परिणामों से ग्रामीण बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि ये नवाचार पूरे राज्य के लिए एक मिसाल है।
 
जल संकट समाधान की ओर तीन रंगों का चमत्कार
जयति सिंह ने मार्च-अप्रैल 2025 के बीच ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के सहयोग से जिले के शासकीय हैंडपंपों की जियो टैगिंग करवाई। इसके बाद इन सभी को तीन रंगों में श्रेणीबद्ध किया। हरा हैंडपंप, जिनमें सालभर जल उपलब्ध रहता है। पीला हैंडपंप जिनमें गर्मी के महीनों में जल स्तर घटता है और सुधार की जरूरत होती है। लाल हैंडपंप जो पूरी तरह बंद हो चुके हैं और जिन्हें रिचार्ज या अन्य तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता है। अब विभाग इन्हीं रंगों के आधार पर मरम्मत, गहराई बढ़ाने, जल रिचार्ज जैसी जरूरी कार्यवाही कर रहा है। यह मॉडल जलप्रबंधन को सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं, व्यावहारिक भी बना रहा है।
 
9440 हैंडपंपों पर सफलता, अब पूरे प्रदेश में विस्तार
उज्जैन जिले की 609 पंचायतों में 1101 गांव हैं, जिनमें 9440 हैंडपंप हैं। इनमें 8500 चालू और 940 बंद हालात में हैं। पहले इनमें से किसमें पानी है, किसमें नहीं, इसका कोई व्यवस्थित रिकार्ड नहीं होता था, लेकिन अब रंगीन कोडिंग के कारण न केवल ग्रामीणों को जानकारी मिल रही है, बल्कि प्रशासनिक मानिटरिंग भी आसान हो गई है। जियो टैगिंग और गूगल अर्थ आधारित निगरानी से प्रत्येक हैंडपंप का यूनिक कोड तैयार किया गया है। इससे रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव हो गई है। जलस्तर, उपयोगिता और सुधार की ज़रूरत जैसी सूचनाएं अब एक क्लिक पर उपलब्ध हैं। रिपोर्ट के अनुसार 6500 हैंडपंप हरे श्रेणी के, दो हजार हैंडपंर पीले श्रेणी के और 940 हैंडपंप लाल श्रेणी के पाए गए हैं।

जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने की ठोस कार्ययोजना
पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने शोक पिट, वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर, परकोलेशन टैंक और कुआं रिचार्ज जैसे उपायों को भी अपनाया है। खासतौर पर पीले रंग वाले हैंडपंप, जो गर्मियों में सूखने लगते हैं, उनके पास जलस्रोत पुनर्भरण कार्य तेजी से चल रहे हैं। इस मॉडल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह समस्या की पहचान से लेकर समाधान तक की एक पूर्ण श्रृंखला बनाता है- मूल्यांकन, वर्गीकरण, सुधार और मॉनिटरिंग।

कंट्रोल रूम से 24 घंटे में निवारण
ग्रामीण क्षेत्रों में जल से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए जिला और जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं, जहां नल-जल और हैंडपंप से जुड़ी शिकायतों का 24 घंटे के भीतर समाधान किया जा रहा है।

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