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भोपाल
जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों की मांग को देखते हुए मोहन यादव सरकार इसी माह तबादला नीति घोषित कर सकती है। इसे कैबिनेट में प्रस्तुत करने की तैयारी है। तबादलों पर पिछले डेढ़ साल से प्रतिबंध है। वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव और इसके बाद लोकसभा चुनाव के चलते तबादले नहीं हो पाए हैं। तब से लेकर बड़े पदों पर अब तक केवल मुख्यमंत्री के समन्वय से ही तबादले हो रहे हैं। अब दोनों ही चुनाव हो चुके हैं। ऐसे में सरकार कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तबादले से रोक हटाने जा रही है। प्रस्तावित नीति में प्रावधान किया गया है कि प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर ही तबादले किए जाएंगे। इसके लिए सरकार के प्राथमिकता वाले जिलों का प्रभार वरिष्ठ मंत्रियों को दिया गया है। 2022 में तबादलों से रोक हटी थी। इसके बाद अब नई नीति के तहत तबादले किए जाएंगे। एक जिले से दूसरे जिले के लिए स्वैच्छिक और प्रशासनिक आधार पर तबादले किए जाएंगे, लेकिन ये 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे।

जहां भाजपा का कमजोर जनाधार, उन जिलों में वरिष्ठ मंत्रियों को दिया प्रभार
मध्य प्रदेश के जिन जिलों में भाजपा का कमजोर जनाधार रहा है वहां प्रभार वरिष्ठ मंत्रियों को दिया गया है।
वे प्रभार के जिलों में सरकार और पार्टी दोनों के बीच तालमेल बनाते हुए कार्य कर रहे हैं।
तबादलों में भी यह तालमेल देखने को मिलेगा।
इंदौर जैसा महत्वपूर्ण जिला मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने पास रखा है।
भोपाल का प्रभार मंत्री चेतन्य कुमार काश्यप को दिया गया है। छिंदवाड़ा जिला का प्रभार राकेश सिंह के पास है।
ऐसे ही महत्वपूर्ण जिलों की कमान वरिष्ठ मंत्रियों को सौंपी गई है।

मंत्रियों के बंगलों पर तबादला कराने वाले आवेदकों की भीड़
मंत्रियों के बंगलों पर तबादला कराने के लिए आवेदकों की भीड़ जुट रही हैं।
पार्टी और संगठन के पदाधिकारियों के बंगले पर भी तबादले के लिए सिफारिश के लिए जमावड़ा हो रहा है।
भोपाल में मंत्रियों के बंगलों पर प्रदेशभर से आवेदन पहुंच रहे हैं।
मंत्रालय मुख्यमंत्री सचिवालय में भी विधायक चहेते अधिकारियों की सिफारिश लेकर पहुंच रहे हैं।

 

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