वाशिंगटन
अमेरिका अपने नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए फिर तैयार है। वहां 5 नवंबर को वोटिंग है। कई अरबपतियों कवर स्टोरी ने वहां बेहिसाब पैसे खर्च किए हैं। आखिर अरबपतियों के लिए भी ये चुनाव इतने अहम क्यों हैं? अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस और रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है। चुनाव में अरबपतियों के बीच भी कड़ा मुकाबला चल रहा है क्योकि इन्होंने अपने-अपने पसंदीदाप्रत्याशियों पर करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं। इन प्रत्याशियों के बहाने इन अरबपतियों का भी काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है। दोनों मुख्य उम्मीदवारों के लिए उनके सहयोगी समूहों ने अक्टूबर के मध्य तक ही 3.8 अरब डॉलर (करीब 32 हजार करोड़ रुपए) से अधिक जुटा लिए थे।
एक विश्लेषण के अनुसार सिर्फ करोड़पतियों ने ही इस चुनाव में 69.5 करोड़ डॉलर (लगभग 5,800 करोड़ रुपए) खर्च किए हैं, जो कुल चंदे का 18 फीसदी हिस्सा है। इधर, चुनावी फंडिंग की जानकारी देने वाली साइट ओपनसीक्रेट्स ने दावा किया है कि 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इतिहास के सबसे महंगे चुनाव होंगे। इस चुनाव पर कुल 15.9 अरब डॉलर (1.3 लाख करोड़ रुपए) खर्च हो सकते हैं। पिछले चुनाव में कुल खर्च 14.4 अरब डॉलर (1.2 लाख करोड़ रुपए) ही था।
उद्योगपति ट्रम्प के साथ क्यों? ये हैं तीन वजह
टैक्स में छूट का लालच
अमेरिकी उद्योगपति आखिर डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन क्यों कर रहे हैं, इसका सीधा जवाब है टैक्स में कटौती। ट्रम्प ने कहा कि वे अधिकतम कॉर्पोरेट टैक्स को वर्तमान 21% से घटाकर 15% कर देंगे। जब ट्रम्प व्हाइट हाउस पहुंचे थे, तब अमेरिका में ये दर 35% थी। वहीं डेमोक्रेट्स इसे 28% तक बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं। ट्रम्प वेल्थ टैक्स को कम करने का भी समर्थन करते हैं। वहीं बाइडेन 10 करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले परिवारों पर वेल्थ टैक्स लगाने की मांग कर रहे हैं।
सरकारी फैसलों में दखल की अपेक्षा
ट्रम्प का समर्थन करने से कई अमेरिकी उद्योगपतियों को व्यक्तिगत फायदा है। उदाहरण के लिए इलॉन मस्क को लेते हैं। मस्क की कंपनी स्पेसएक्स और टेस्ला अमेरिकी सरकार पर काफी निर्भर हैं। स्पेसएक्स पेंटागन के सबसे बड़े पार्टनर्स में से एक है। टेस्ला को भारी सरकारी सब्सिडी मिलती है। मस्क की दोनों कंपनियों को एक दशक में 15.4 अरब डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं। यानी उनकी सफलता में सरकार का भी योगदान है। मस्क को लगता है कि ट्रम्प इसमें आगे भी काफी मददगार साबित हो सकते हैं। ऐसे में मस्क का ट्रम्प समर्थन उनके निजी फायदे से काफी हद तक जुड़ा हुआ है।
टेक कंपनियों पर बाइडेन की सख्ती
कई अरबपति बाइडन हैरिस प्रशासन की कार्रवाइयों से भी नाराज हैं। उदाहरण के लिए इस साल बाइडन प्रशासन ने दिग्गज टेक कंपनी एपल के खिलाफ उसके आईफोन एकाधिकार के दुरुपयोग के लिए कानूनी कार्रवाई तेज की थी। इसके अलावा गूगल मेटा के खिलाफ भी बाइडन प्रशासन ने ऐसे ही कड़े तेवर दिखाए थे। बड़ी टेक कंपनियों के सीईओ डेमोक्रेट्स को इस वजह से भी पसंद नहीं कर रहे, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी नीतियों से व्यापार को नुकसान होगा।
कारोबारियों का कमला के प्रति रुझान क्यों?
1. आर्थिक नीतियों में स्थिरता
अमेरिका के कई अरबपति डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी कमला हैरिस का समर्थन कर रहे हैं और इसका एक बड़ा कारण यह है कि उनकी आर्थिक नीतियां अनेक व्यावसायिक हितों के साथ मेल खाती हैं। एक तो उन्हें डेमोक्रेट्स की नीतियों में स्थिरता नजर आती है। फिर हैरिस दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों चिप मैन्युफैक्चरिंग और रियल एस्टेट में अधिक निवेश किए जाने की पैरवी करती हैं। कई उद्योगपति इन दोनों क्षेत्रों में निवेश में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं, जिससे उन्हें फायदे की उम्मीद है।
2. निजी दुश्मनी निभाते हैं ट्रम्प
डोनाल्ड ट्रम्प की गिनती निजी दुश्मनी निभाने वालों में होती है। ट्रम्प के कार्यकाल में कई उद्योगपति निशाने पर थे। उदाहरण के तौर पर जब ट्रम्प टीवी चैनल सीएनएन के कवरेज से नाराज हुए थे, तब कहते हैं कि उन्होंने पिछले दरवाजें से एटी एंड एटी और टाइम वार्नर (सीएनएन की पैरेंट कंपनी) के बीच विलय को रोकने का प्रयास किया था। इससे दोनों कंपनियों को गंभीर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इसी तरह अमेजॉन पर भी ट्रम्प ने गुस्सा निकाला था। इस वजह से पेंटागन के साथ हुआ 10 अरब डॉलर का क्लाउड- कंप्यूटिंग कांट्रैक्ट उसके हाथ से चला गया था।
3. हैरिस सामाजिक सुरक्षा में बेहतर
कई उद्योपति कमला हैरिस का समर्थन करते हैं और इसकी वजह यूबीएस सर्वे से समझी जा सकती है। इसमें कम से कम 10 लाख डॉलर की संपत्ति वाले अमीरों को शामिल किया गया था। सर्वे में सामने आया कि 57% हैरिस के लिए और 43% ट्रम्प के लिए वोट देने की योजना बना रहे हैं। सर्वे में 971 अमीरों को शामिल किया गया था। ये लोग हैरिस को सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के मोर्चे पर बेहतर मानते हैं।

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