भोपाल
भोपाल मेट्रो रेल परियोजना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। राजधानी के पांच स्टेशनों पर फिनिशिंग कार्य तेजी से चल रहा है, जबकि तीन स्टेशनों पर इंट्री और एग्जिट प्वाइंट्स पर काम जारी है। स्टेशनों के भीतर फॉल सीलिंग, लाइटिंग, टाइल्स और अन्य सौंदर्यीकरण कार्य किए जा रहे हैं। अधिकांश स्टेशनों पर एस्केलेटर और लिफ्ट का काम पूरा हो चुका है। भोपाल मेट्रो के पहले चरण में 7 किलोमीटर लंबा रूट सुभाष नगर से एम्स तक खोला जाएगा, जिसमें कुल 8 स्टेशन होंगे। यह रूट एलिवेटेड कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहा है। इसमें रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (आरकेएमपी) पर स्काईवॉक बनेगा। 700 मीटर का स्काईवॉक का एक सिरा मेट्रो स्टेशन के कॉनकोर्स और दूसरा सिरा रेलवे स्टेशन के कॉनकोर्स से जुड़ा होगा।
आरडीएसओ की टीम आ सकती है जल्द
मेट्रो ट्रेन का ट्रायल रन 90 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से किया जाएगा। इस ट्रायल की निगरानी आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) द्वारा की जाएगी। यह संस्था हर स्पीड पर ट्रेन की ब्रेकिंग, स्थिरता और तकनीकी सुरक्षा का आकलन करेगी। आरडीएसओ की टीम के इसी माह के अंत तक आने की संभावना है। इसके बाद रेलवे सेफ्टी कमिश्नर मेट्रो के ट्रैक, सिविल वर्क, ट्रेन, सिग्नलिंग सिस्टम और सार्वजनिक सुविधाओं की व्यापक जांच करेगा। एक माह की प्रक्रिया के बाद ट्रेन का कमर्शियल रन शुरू किया जाएगा।
तीन कोच 900 यात्रियों को ले जाने में सक्षम
अब तक सात मेट्रो ट्रेनें भोपाल पहुंच चुकी हैं। कुल 27 ट्रेनों का संचालन प्रस्तावित है। प्रत्येक ट्रेन तीन कोच की होगी, जो लगभग 900 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगी। इनमें 150 लोगों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। ट्रेनों में दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
सितंबर तक चल सकती है मेट्रो
यदि सभी परीक्षण समय पर सफलतापूर्वक पूरे होते हैं, तो अगस्त-सितंबर तक भोपाल मेट्रो का संचालन शुरू हो सकता है। ट्रायल और सुरक्षा अनुमोदन के बाद राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी। इंदौर मेट्रो का परीक्षण कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है, जिसका कमर्शियल रन जल्द शुरू होगा।
क्यूआर कोड आधारित टिकटिंग सिस्टम
भोपाल मेट्रो में क्यूआर कोड आधारित टिकटिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेंगी, जिसमें पेयजल, स्वच्छता और दिव्यांग अनुकूल सुविधाएं शामिल हैं। सुरक्षा के लिए रिटायर्ड फौजियों और निजी सुरक्षा एजेंसियों की भी मदद ली जाएगी। सभी स्टेशनों पर एएफसी (ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन) गेट लगाए जा रहे हैं, जहां बारकोड टिकट से प्रवेश मिलेगा।

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