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भोपाल
केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाला पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट देश के दो प्रमुख राज्यों राजस्थान और मध्यप्रदेश की कायापलट कर देगा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, मध्यप्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री तथा दोनों राज्यों के अपर मुख्य सचिव व सचिवों की उपस्थिति में 28 जनवरी को इस प्रोजेक्ट का डीपीआर बनाने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे। 72 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट में कुल 21 बांध, बैराज और बैलेंसिंग रिजर्वायर आदि बनाए जाएंगे। प्रोजेक्ट अगले 5 साल में पूर्ण कर लिया जाएगा। इससे संबंधित एक अहम अपडेट सामने आया है।

 पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट में मालवा इलाके के सभी घटकों का काम अब पहले चरण में ही होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के प्रयासों के बाद यह संशोधन किया गया है। पहले सिंचाई और पेयजल संबंधित घटकों का निर्माण फेस-2 में रखा गया था। संशोधन के बाद मालवा को सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक प्रयोजन के लिए योजना के पहले चरण में ही पर्याप्त पानी उपलब्ध हो जाएगा।

संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट से प्रदेश के चंबल और मालवा इलाके के लाखों किसानों का जीवन बदल जाएगा। उन्हें न केवल सिंचाई और पेयजल के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा बल्कि यहां पर्यटन और उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश की 17 परियोजनाएं और राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना शामिल है। प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद मध्यप्रदेश के करीब 6.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी। पेयजल और उद्योगों के लिए 172 मि.घ.मी. पानी भी मिलेगा। प्रदेश के करीब 40 लाख परिवार लाभान्वित होंगे।

प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश से निकलनेवाली वाली पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, क्षिप्रा और अन्य सहायक नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। प्रदेश में प्रोजेक्ट में कुल 35 हजार करोड़ रूपए के काम प्रस्तावित हैं।

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट के अंतर्गत श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्पलेक्स में 4 बांध बनेंगे। ये बांध कटीला, सोनपुर, पावा और धनवाड़ी में बनाए जाएंगे। इसके साथ ही श्यामपुर, नैनागढ में 2 बैराज बनेंगे। कुम्भराज कॉम्पलेक्स में 2 बांध तथा 7 अन्य बांध भी इसमें शामिल हैं। गांधी सागर बांध की अप-स्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे-छोटे कई बांधों का निर्माण भी किया जाएगा।

प्रोजेक्ट से एमपी के मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड, श्योपुर, इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास एवं राजगढ़ को लाभ होगा। इन 13 जिलों में सिंचाई, पेयजल, और औद्योगिक प्रयोजन के लिए भरपूर पानी मिल सकेगा।

प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच मौजूदा चंबल दायीं मुख्य नहर और मध्यप्रदेश में CRMC सिस्टम को अंतिम छोर तक आधुनिक बनाया जाएगा। इससे प्रदेश के श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों को आवंटित पानी मिल सकेगा।

अधिकारियों के अनुसार संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश की श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्पलेक्स की 6 परियोजनाओं की डीपीआर तैयार हो चुकी है।इन्हें राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को भेजा जा चुका है। शेष डीपीआर की प्रक्रिया चल रही है।

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