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नई दिल्ली.
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा प्रकाशित 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025' के अनुसार, भारतीय नियोक्ता प्रमुख तकनीकों को अपनाने में काफी आगे हैं। वो इस क्षेत्र में वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ने की तैयारी में है। 35 प्रतिशत नियोक्ता सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग तकनीकों को अपनाने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि 21 प्रतिशत नियोक्ता क्वांटम और एन्क्रिप्शन से परिचालन में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं।

20-25 जनवरी को दावोस में होने वाली डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक से पहले जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर 20 प्रतिशत की तुलना में भारत में 35 प्रतिशत नियोक्ता सोचते हैं कि सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग तकनीकों को अपनाने से उनके परिचालन में बदलाव आएगा। वहीं, वैश्विक स्तर पर 12 प्रतिशत की तुलना में 21 प्रतिशत भारतीय नियोक्ता सोचते हैं क्वांटम और एन्क्रिप्शन तकनीकों को अपनाने से उनके परिचालन में भी बदलाव आएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत के तेजी से बढ़ते जॉब रोल्स में, बिग डेटा स्पेशलिस्ट, एआई-मशीन लर्निंग स्पेशलिस्ट और सिक्योरिटी मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट शामिल हैं। जो कि ग्लोबल ट्रेंड से जुड़ा है।" भारत में काम करने वाली 67 प्रतिशत कंपनियों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे डायवर्स टैलेंट पूल का इस्तेमाल करें और डिग्री आवश्यकताओं को हटाकर स्किल-बेस्ड हायरिंग (कौशल आधारित नौकरी पर रखने) को अपनाएं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई कौशल की मांग को लेकर विश्व स्तर पर तेजी आई है, जिसमें भारत और अमेरिका सबसे आगे हैं। अमेरिका में, मांग मुख्य रूप से व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं द्वारा संचालित होती है, जबकि भारत में, कॉर्पोरेट स्पॉन्सरशिप जेनएआई ट्रेनिंग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि डिजिटल एक्सेस में वृद्धि, भू-राजनीतिक तनाव और क्लाइमेट मिटिगेशन प्रयास प्राथमिक ट्रेंड होंगे जो 2030 तक भविष्य की नौकरियों को आकार देंगे। यह रिपोर्ट 1,000 से अधिक कंपनियों के दृष्टिकोणों को एक साथ लाती है, जो सामूहिक रूप से वैश्विक स्तर पर 14 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देती हैं।

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