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रोम
जैसे-जैसे 7 मई को वेटिकन में होने वाली पोप चयन प्रक्रिया (पैपल कॉन्क्लेव) नजदीक आ रही है, दुनिया की निगाहें उस रहस्यमयी माहौल पर टिकी हैं जिसमें एक नया धार्मिक नेता चुना जाता है। पोप चुनाव के दौरान कार्डिनलों के खाने-पीने को लेकर जो सख्त नियम बनाए गए हैं, वे 13वीं सदी से चलते आ रहे हैं। पोप ग्रेगरी एक्स ने ये नियम इसलिए बनाए थे ताकि निर्णय प्रक्रिया तेज हो सके और बाहरी दुनिया का कोई प्रभाव न पड़े। शुरुआत में नियम बहुत सख्त थे, तीन दिन बिना निर्णय के बीतने पर सिर्फ एक बार भोजन और आठ दिन बिना निर्णय बीतने पर सिर्फ रोटी और पानी की अनुमति। बाद में पोप क्लेमेंट षष्ठम ने थोड़ी ढील दी और तीन कोर्स का सादा खाना तय किया, सूप, मांस या अंडा, और फल या चीज।

भोजन से भी भेजे जा सकते हैं गुप्त संदेश
आज भी, कॉन्क्लेव से पहले कार्डिनल रोम के कैफे और रेस्टोरेंट्स में मुलाकात कर गुपचुप बातचीत करते हैं। माना जाता है कि ये मुलाकतें भविष्य के पोप के चुनाव में अहम भूमिका निभाती हैं। इतिहास में कई बार खाने के जरिए गुप्त संदेश भेजने की आशंका भी जताई गई है, जैसे चिकन के भीतर छिपा नोट, पास्ता में फिसलाया गया कोई संकेत, या नैपकिन पर लिखा वोट अपडेट।

इस बार नन बनाएंगी बहुत सादा खाना
इस बार वेटिकन ने खाना इतना सादा और नियंत्रित कर दिया है कि उसमें कुछ भी छिपाना संभव न हो। इस बार कॉन्क्लेव में नन द्वारा बनाया जाएगा बेहद सादा खाना—उबली सब्जियां, स्पेगेटी और भुने हुए लैम्ब स्क्युवर।
 
धुएं से मिलेगा दुनिया को संकेत
लगभग 180 कार्डिनल इस बार रोम में जमा होंगे, जिनमें से 133 को वोटिंग का अधिकार है। जब तक नया पोप नहीं चुन लिया जाता, वे सिस्टीन चैपल में दुनिया से पूरी तरह कटे रहेंगे और दुनिया को संकेत मिलेगा केवल धुएं से: काले धुएं का मतलब ‘अभी नहीं’ और सफेद धुएं का मतलब ‘नया पोप मिल गया है’।

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