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भोपाल
अदालतों में गवाहों की पेशी में कई बार केस में देरी की परेशानी अब बीते जमाने की बात होने वाली है. केंद्र सरकार की न्यायश्रुति योजना के तहत मध्य प्रदेश में पुलिस अब करीब 2000 स्थान चिन्हित कर वहां वीडियो कॉन्फ्रेसिंग रूम बनाने की तैयारी में है.

दरअसल, यह देखा गया है कि कई बार सिर्फ गवाहों की गैर-मौजूदगी की वजह से अदालत को केस की अगली सुनवाई के लिए तारीख देनी होती है. ज्यादातर ममलों में यह वह गवाह होते हैं जिनकी पुलिस इन्वेस्टिगेशन में अहम भूमिका होती है. जैसे- प्रत्यक्षदर्शी, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, केस से जुड़े आईओ (इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर) या मेडिकल ऑफिसर.

वहीं, कई बार केस से जुड़े ऐसे अधिकारीयों या कर्मचारियों का ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन कोर्ट की सुनवाई के दौरान गवाही में सिर्फ 'हां' या 'ना' कहने के लिए उन्हें उसी शहर या इलाके की कोर्ट में आना होता है, जहां कार्यरत रहने के दौरान उन्होंने केस में योगदान दिया हो. लेकिन देखा गया है कि कई बार अलग-अलग कारणों से यह गवाह कोर्ट समय पर नहीं पहुंच पाते और कोर्ट को अगली तारीख देनी पड़ती है, जिससे सुनवाई में अनावश्यक देरी होती है और केस लंबा खींचता जाता है.

अब केंद्र सरकार इसी समस्या को दूर करने के लिए न्यायश्रुति योजना के तहत पुलिस थानों और एसपी कार्यालय, सीएसपी कार्यालय और एसडीओपी कार्यालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम बनाने के लिए फंड देने वाली है.

पुलिस कमिश्नर प्रणाली वाले भोपाल और इंदौर शहर में एसीपी कार्यालय में इसकी व्यवस्था की जाएगी. इस योजना के तहत स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो साउंडप्रूफ केबिन तैयार करेगा, जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए यह गवाह कोर्ट में गवाही दे सकेंगे और सिर्फ गवाही देने के लिए उन्हें कई बार दूर तक जाने की परेशनी से निजात मिल सकेगी.

 

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