पीएचडी स्कॉलर्स का आरोप अनावश्यक नियमावली थोप रहा मैनिट प्रबंधन
मांगों को लेकर मैनिट डायरेक्टर से मिलेंगे, सांसद से लगाएंगे गुहार
पीएचडी स्कॉलर्स लगातार मैनिट प्रबंधन से मांग कर रहे हैं कि Q1, Q2 स्टैंडर्ड के एससी-एसटी रिसर्च जर्नल में रिसर्च पेपर पब्लिकेशन की बाध्यता को हटाते हुए स्कोपस इंडेक्स्ड रिसर्च जर्नल में रिसर्च पेपर पब्लिकेशन के आधार पर पीएचडी अवार्ड की जाए। रिसर्च जर्नल में पेपर प्रकाशित करने से पूर्व मैनिट प्रबंधन से परमिशन लेने की अनावश्यक शर्त को हटाया जाए। जिन पीएचडी स्कॉलर्स के 5 वर्ष पूर्ण हो गए हैं, उन्हें अपनी रिसर्च पूरी करने के लिए डेढ़ वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए स्टाइपेंड देते हुए एक्सटेंशन दिया जाए।
रेगुलर मिले एचआरए की राशि
भारत सरकार के नियमानुसार एससी-एसटी पीएचडी स्कॉलर्स को ट्यूशन फीस में 100% छूट दी जाए। रिसर्च संसाधन एवं फैसिलिटीज़ को बढ़ाया जाए। 2019, 2020 एवं 2021 में प्रवेशित पीएचडी स्कॉलर्स की रोकी गई एचआरए की राशि एरियर्स के रूप में दें। आगले माह से प्रतिमाह एचआरए की राशि दी जाए। रिसर्च के दौरान एक्सपेरिमेंटल सेटअप, रिसर्च पब्लिकेशन, पेटेंट एवं अन्य रिसर्च संबंधी जरूरतों पर आने वाले खर्चों की पूर्ति मैनिट प्रबंधन द्वारा की जाए।
मानसिक तनाव से गुजर रहे रिसर्च स्कॉलर
रिसर्च स्कॉलर्स विगत डेढ़ वर्ष से कोरोना काल के कारण स्टूडेंट्स अपने घर से ही रिसर्च कार्य कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि कैंपस में ना होने के कारण संसाधनों और उचित मार्गदर्शन के अभाव में रिसर्च वर्क बाधित हुआ है। रिसर्च स्कॉलर्स मैनिट प्रबंधन के इन अनावश्यक नियमों के कारण भारी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। कई स्कॉलर्स सुसाइडल मोड में पहुंच चुके हैं। मांगों को लेकर पीएचडी स्कॉलर्स बीते दिन डायरेक्टर से मिलकर मांगों को रखा है। मैनिट डायरेक्टर ने सभी मांगों पर विचार करने का कहा है। पूर्व में भी कई बार मैनिट प्रबंधन को अपनी मांगों से अवगत करा चुके हैं। छात्रों ने कहा कि अगर मैंनिट प्रबंधन ने जल्द ही मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर से भी गुहार लगाएंगे। जरूरत पड़ी तो मैनिट परिसर में शांतिपूर्वक आंदोलन करेंगे।
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