मोदी सरकार के अन्याय और जुल्म से मिलकर लड़ेगा संयुक्त विपक्ष
कांग्रेस पार्टी के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, माक्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल सहित 19 दलों ने जारी किया सयुंक्त बयान
(My secret news)
आत्म प्रचार की भूख और टीकों का झूठ
प्रचार की भूख में खुद अपने जन्मदिन के दिन टीकों का विश्व रिकार्ड बनाने का अतिरंजित दावा किया जा रहा है। जबकि खुद सरकारी आंकड़े ही इस झूठ को बेनकाब कर देते हैं। “17 सितंबर के जन्मदिन” को लगे टीकों और उसके एक दिन पहले व एक दिन बाद के टीकों की संख्या में जमीन आसमान का अंतर है। विस्तार में जाने की बजाए सिर्फ पक्के भाजपा शासित 5 राज्यों के ही आंकड़े देख लेना ठीक होगा। इन 5 प्रदेशों में हैप्पी बर्थडे के दिन सबसे ज्यादा 31 लाख 77 हजार 282 टीके लगाने का दावा कर्नाटक का है। जबकि एक दिन पहले 16 सितंबर को यहां मात्र 81 हजार 383 और वहीं 18 सितंबर को सिर्फ 2 लाख 47 हजार 464 टीके लगे। पीएम मोदी जिसे अपना मानते हैं, उस गुजरात में 17 को 24 लाख 73 हजार 539 दिखाई गई। वह 16 सितंबर को 10 गुना कम सिर्फ ढाई लाख और 18 सितम्बर को छह गुना कम केवल 4 लाख रह गई।
सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी
-मध्यप्रदेश में रिकार्ड वाले दिन 29 लाख 4 हजार 611 टीके लगने के आंकड़े जारी किए गए। जबकि एक दिन पहले यह संख्या सिर्फ 6 लाख 85 हजार 339 और एक दिन बाद 7 लाख 4 हजार 721 थी।
-यही हाल योगी के उत्तर प्रदेश का है। जहां 17 सितंबर को 25 लाख 20 हजार 473 का दावा किया। जबकि 16 सितंबर को सिर्फ 4 लाख 43 हजार 926 तथा 18 सितंबर को 6 लाख 13 हजार 572 टीके लगे।
-असम में भी यह अंतर 6 गुना था। यहां 17 सितंबर को 7 लाख 90 हजार 293 का दावा किया गया। जबकि इसके एक दिन पहले यह संख्या 1 लाख 69 हजार 21 और एक दिन बाद 1 लाख 98 हजार 344 थी।
बड़ा झूठ बोलो और बार बार बोलो
इस तरह इस कथित उपलब्धि पर भी गोयबल्स का ही सील सिक्का लगा हुआ था। बड़ा झूठ बोलो, आंकड़ों सहित बोलो और बार बार बोलो। देखा जाए तो मोदी के लिए ऐसी ही बर्थडे गिफ्ट चाहिए। इसलिए भी कि उनके तो जन्मदिन भी दो-दो बताए जाते हैं। यदि झूठे आंकड़े को मान भी लें तो सवाल यह है कि यदि जुमला दिवस पर दो ढाई करोड़ टीके लगाए जाने की क्षमता देश के पास है और इस देश में एक ही दिन में 12 करोड़ वैक्सीनेशन का रिकार्ड रहा है, तो फिर टीकाकरण की रफ्तार बाद में इतनी सुस्त क्यों पड़ गई है? क्या 40-50 लाख मौतों का इंतजार इसलिए किया गया कि जन्मदिन के दिन एक रिकार्ड बनाया जा सके? जिसे उपलब्धि बताया जा रहा है, वह दरअसल अभियुक्त द्वारा खुद के खिलाफ एक स्वप्रमाणित दस्तावेजी सबूत है।जिसके आधार पर सामान्य संसदीय लोकतंत्र में सरकारों के इस्तीफे होने की परंपरा है। मगर इधर स्वयं सिद्ध नाकाबिलियत को भी सुर्खाब का पर मानकर मुकुट की तरह धारण किया जा रहा है।
अर्थव्यवस्था तबाह, गहराती मंदी और संम्पति की लूट
अर्थव्यवस्था के ध्वस्त होने के चलते करोड़ों लोग बेरोजगारी और बढ़ती गरीबी तथा भूख की खाई में धकेल दिए गए हैं। बेलगाम मुद्रास्फीति तथा महंगाई जनता की तकलीफें बढ़ा रही है और आजीविकाओं को नष्ट कर रही है। अर्थव्यवस्था के विनाश के साथ ही साथ हमारी राष्ट्रीय परिसंपत्तियों की बहुत भारी लूट चल रही है। सार्वजनिक क्षेत्र का बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा रहा है। जिसमें बैंक तथा वित्तीय सेवाएं भी शामिल है। हमारे खनिज संसाधनों तथा सार्वजनिक उपयोगिताओं का निजीकरण किया जा रहा है, ताकि प्रधानमंत्री के चहेते दरबारियों को फायदा पहुंचाया जा सके।
लोकतंत्र बाधित और अन्याय बढ़ा
दलितों, आदिवासियों तथा महिलाओं पर हमले कई गुना बढ़ गए हैं। वहीं विरोध करने, लोकतांत्रिक तरीके से असहमति जताने के जनता के संविधान प्रदत्त अधिकार को छीना जा रहा है। देश को लोकतंत्र की बजाए खाकी राज में बदलने की कोशिश हो रही है। यहां तक कि संसद को भी नहीं बख्शा जा रहा है। केंद्र सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने जिस प्रकार संसद के मानसून सत्र को बाधित किया है, वह निंदनीय है। उन्होंने अनाधिकृत रूप से लोगों की जासूसी करने के लिए सैन्य स्पाइवेयर पेगासस का अवैध तरीके से इस्तेमाल किए जाने, 3 किसान विरोधी कानूनों के निरस्त किए जाने, कोविड-19 महामारी के घोर कुप्रबंधन बेलगाम मुद्रास्फीति, बढ़ती महंगाई तथा तेजी से बढ़ती बेरोजगारी जैसे विषयों पर भी चर्चा करने या जवाब देने से इनकार कर दिया है। ये सब तथ्य देश व जनता पर असर डाल रहे हैं। दूसरे अनेक मुद्दों को सत्ताधारी सरकार ने जानबूझकर अनदेखा किया है। संसद में अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला, जहां मार्शलों ने विपक्ष के विरोध को दबाने सांसदों को घायल कर दिया। यहां तक की महिला सांसद भी मार्शली दुर्व्यहार की शिकार हुईं। देश तथा जनता से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने, अपने अधिकार से विपक्ष को वंचित करने के अलावा सरकार ने संसद के दोनों सदनों में व्यवधान पैदा करके शोर शराबे के बीच जोर जबरदस्ती से विधेयकों को पारित करा लिया। मध्यप्रदेश विधानसभा तो माखौल बना कर रख दी गई है, जहां सत्र को चलने ही नहीं दिया जाता है।
जनता की मांगे पूरी करे सरकार
– देश में टीका उत्पादन की सभी क्षमताओं को जुटाया जाए तथा बढ़ाया जाए।
– दुनिया भर से टीके हासिल किए जाएं और मुफ्त टीकाकरण की मुहिम की रफ्तार बढ़ाई जाए।
– कोविड के चलते अपनी जान गंवाने वालों के लिए समुचित मुआवजा दिया जाए।
-सार्वजनिक स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली का बहुत बड़े पैमाने पर विस्तार किया जाए।
– केंद्र सरकार, आयकर की सीमा से नीचे के सभी परिवारों के लिए 7,500 रूपये महीना दिया जाए।
-सभी जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन किट बांटना चाहिए। जिसमें रोजमर्रा के उपभोग की सभी आवश्यक वस्तुएं हों।
– पेट्रोल, डीजल पर केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी में की गई बढ़ोतरी को वापस लिया जाए।
-रसोई गैस तथा आवश्यक वस्तुओं की खासतौर पर खाने पकाने के तेल की कीमतें घटाई जाए।
– तीन कृषि कानूनों को निरस्त और किसानों के लिए अनिवार्य रूप से एमएसपी की गारंटी की जाए।
– सार्वजनिक क्षेत्र के स्वेच्छाचारी निजीकरण को रोका जाए।
– श्रम कोड्स को निरस्त किया जाए। विरोध जताने और मेहनतकश जनता के अधिकारों को बहाल किया जाए।
– मध्यम लघु सूक्ष्म उद्योगों (एमएसएमई) के लिए, ऋणों के प्रावधान को नहीं, बल्कि मौद्रिक उत्प्रेरण पैकेज को लागू किया जाए।
– आर्थिक व सामाजिक बुनियादी ढांचे को खड़ा करने सार्वजनिक निवेशकों को बढ़ाया जाए, जिससे रोजगार पैदा होंगे।
– सरकारी नौकरियों में खाली पदों को भरा जाए।
मनरेगा का विस्तार और काम की गारंटी को 200 दिन तथा मजदूरी की दरें कम से कम दो गुनी की जाए।
– शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम के लिए, कानून बनाया जाए।
शिक्षकों, कर्मचारियों तथा छात्रों के टीकाकरण को प्राथमिकता दी जाए, ताकि शिक्षा संस्थाएं खुल संके।
-लोगों की जासूसी के लिए पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच कराई जाए।
– रफाल सौदे के पहले आर्डर रद्द किए जाने तथा ज्यादा दाम पर नया आर्डर दिए जाने की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
-भीमा कोरेगांव तथा सीएए विरोधी आदि आंदोलनों में पकड़े गए लोगों को रिहा किया जाए। राजद्रोह/ एनएसए जैसे अन्य अत्याचारी कानूनों का इस्तेमाल रोका जाए।
– अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने के लिए।
– सीखचों के पीछे डाले गए सभी मीडिया कर्मियों को रिहा किया जाए।
– जम्मू कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए।
– केंद्रीय सेवाओं के जम्मू कश्मीर काडर समेत-उसका राज्य का पूर्ण दर्जा बहाल किया जाए। वहां जल्द से जल्द स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं।
संयुक्त रूप से उठाएंगे मुद्दे
इन मांगों को लेकर संयुक्त रूप से विरोध कार्यवाहियों का आयोजन किया जाएगा। इन सार्वजनिक विरोध कार्रवाईयों का रूप क्या होगा इसका फैसला हमारी पार्टी की संबंधित जिला इकाईयों द्वारा जिलों में लागू कोविड-19 संबंधी नियम- कायदे की ठोस स्थितियों के हिसाब से किया जाएगा। अन्य चीजों के अलावा कार्यवाही के इन रूपों में धरने-विरोध-प्रदर्शन हड़ताल आदि शामिल हो सकते हैं। 19 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जनता से आह्वान किया है कि वक्त की पुकार सुनकर, अपनी पूरी ताकत से धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक, गणतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने के लिए आगे आएं। भारत को बचाए ताकि उसे एक बेहतर भविष्य के लिए बदल सके।
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