पीथमपुर
इंदौर के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक निपटान संयंत्र में भोपाल (Bhopal) के यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) कारखाने के जहरीले कचरे को जलाने के दूसरे दौर के परीक्षण की प्रक्रिया बुधवार देर रात शुरू हो गई. इस चरण में 10 टन कचरे की एक और खेप को नष्ट किया जाएगा. इस प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
यूनियन कार्बाइड के 10 टन जहरीले कचरे को जला कर नष्ट करने की दूसरा ट्रायल रन गुरुवार सुबह 10.30 से 11 बजे शुरू होगा. दूसरे ट्रायल रन में 180 किलो कचरा प्रति घंटे की दर से जलाया जाएगा. इस दौरान इंसीनेटर का तापमान 900 डिग्री सेल्सियल से ज्यादा रहेगा. इस मौके पर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी मौजूद रहेंगे. ट्रायल रन का दूसरा दौर 8 मार्च को ख़त्म होगा. ट्रायल के बाद 55 से 56 घंटे तक कचरा जलाया जाएगा. गौरतलब है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर ये जहरीला कचरा इंदौर के पीथमपुरा स्थित प्लांट में नष्ट किया जा रहा है.
337 टन कचरे के निपटान की है योजना
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए तीन दौर में किया जाना है और अदालत के सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जानी है.
कचरे को ऐसे किया जाएगा नष्ट
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने के दूसरे दौर की प्रक्रिया शुरू हो गई है. भस्मक में कचरा डाले जाने से पहले इसे करीब 12 घंटे तक खाली चलाकर तय तापमान तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने बताया कि दूसरे दौर के परीक्षण के दौरान भस्मक में हर घंटे 180 किलोग्राम कचरा डाला जाएगा और इस तरह कुल 10 टन कचरे को जलाया जाएगा.
पहले दौर में सफलता पूर्वक नष्ट किए गए कचरे
द्विवेदी ने बताया कि इस संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का पहला दौर 28 फरवरी से शुरू होकर तीन मार्च को खत्म हुआ था. उन्होंने बताया कि पहले दौर का परीक्षण करीब 75 घंटे चला और इस दौरान संयंत्र के भस्मक में हर घंटे 135 किलोग्राम कचरा डाला गया था.
खतरनाक स्तर से नीचे था उत्सर्जन
कचरे में ये पदार्थ हैं शामिल
प्रदेश सरकार के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और ‘अर्द्ध प्रसंस्कृत' अवशेष शामिल हैं. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब खत्म हो चुका है. बोर्ड के मुताबिक फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं.
भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की रात बरपा था कहर
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था.इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे. इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है.
पीथमपुर में कचरे को जलाने का हो रहा था विरोध
भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है.

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