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क्रिकेट किंग बना बीसीसीआई, आईपीएल बनी पैसा लीग, पाक के डिफेंस बजट से अधिक आईपीएल 2024 का रेवेन्यू

नई दिल्ली इंडियन प्रीमियर लीग के 2025 सीजन के लिए हुई नीलामी में कुछ ही घंटों में 639.15 करोड़ लुटाए गए। 10 टीमों ने दुनियाभर के क्रिकेटरों के बैंक अकाउंट को भरने में कोई कोताही नहीं की। पैसों की बरसात के बीच ऋषभ पंत सबसे महंगे 27 करोड़ रुपये में लखनऊ सुपरजायंट्स टीम में गए तो श्रेयस अय्यर 26.75 करोड़ रुपये के साथ पंजाब किंग्स टीम में शामिल हुए। दूसरी ओर, पाकिस्तान की क्रिकेट लीग पाकिस्तान सुपर लीग यानी पीएसएल का भी ऑक्शन होना है। माना जा रहा है कि जो आईपीएल ऑक्शन में नहीं बिके हैं उन बड़े नामों पर पीएसएल की टीमों की नजरें हैं। यानी आईपीएल से जो बचे हैं वह पीएसएल में अपनी किस्मत आजमाएंगे। खैर, ये तो वो बातें हैं, जो आप जानते हैं। जो नहीं जानते हैं वह यह है कि आईपीएल 2024 में सभी 10 टीमों का कुल रेवेन्यू पिछले सीजन यानी 2023 से डबल हो गया है। टॉफ्लर के अनुसार, आईपीएल 2024 का रेवेन्यू 6,797 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले सीजन 3,082 करोड़ से दोगुना है। इस राशि को अगर और भी आसान तरीके से समझना हो तो यूं समझें कि आईपीएल 2024 का रेवेन्यू पाकिस्तान के रक्षा बजट जितना रहा। यह वह रक्षा बजट है, जिसके दम पर वह उछलता-कूदता है। जी हां, हैरान होने की जरूरत नहीं है। एक पाकिस्तानी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का 2024 में रक्षा बजट 7.64 बिलियन यूएस डॉलर यानी 2,122 अरब पाकिस्तानी रुपये था। अगर इसे भारतीय रुपये में बदला जाए तो 6497 करोड़ रुपये होता है। यानी पाकिस्तान के रक्षा बजट से अधिक भारतीय क्रिकेट लीग की 10 टीमों का रेवेन्यू है, जिसकी कीमत में हर साल दोगुना बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। इस तरह से क्रिकेट किंग बना बीसीसीआई, आईपीएल बनी पैसा लीग  रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने इस उछाल का श्रेय लीग की बढ़ती लोकप्रियता को दिया, जो स्मार्ट मीडिया डील और आकर्षक स्पॉन्सरशिप डील की वजह से हुई है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI), डिज्नी स्टार और वायकॉम 18 के बीच 2022 में रिकॉर्ड 48,390 करोड़ का मीडिया राइट्स की डील हुई थी, जो अब मिलकर JioStar बन गया है। प्रसारण राजस्व के अलावा BCCI ने टाटा समूह, My11Circle, Ceat और AngelOne सहित प्रमुख ब्रांडों के साथ बहु-वर्षीय स्पॉन्सरशिप डील से 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। 'दिन दोगुना रात चौगुना' बढ़ रही आईपीएल की कीमत ब्रांड फाइनेंस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएल का ब्रांड मूल्य 2023 की तुलना में 2024 में 13% बढ़कर 12 बिलियन डॉलर (7.64 बिलियन डॉलर पाकिस्तान का रक्षा बजट इसके आगे लड्डू है) तक पहुंच गया है, जो 2009 में इसके 2 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन से अधिक है। उल्लेखनीय रूप से चार फ्रेंचाइजी- चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके), मुंबई इंडियंस (एमआई), रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी), और कोलकाता नाइटराइडर्स (केकेआर) ने ब्रांड मूल्य में 100 मिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 पर आंख दिखा रहा है पाकिस्तान यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान को होने वाली क्रिकेट से कमाई भारत पर ही निर्भर है। आईसीसी की कमाई का बड़ा हिस्सा भारत से जाता है। इसके बावजूद वह आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाने से भारत के इनकार करने के बावजूद तरह-तरह की शर्तें रखने की नाकाम कोशिशें और ड्रामे करने से बाज नहीं आ रहा है। हालांकि, रिपोर्ट की मानें तो आईसीसी इस बात पर फैसला कर चुका है कि टूर्नामेंट हाइब्रिड मॉडल से खेला जाएगा। भारत की एक लाइन में शर्त यह है कि सीमा पर अपने क्षेत्र से होने वाली आतंकी गतिविधियों पर पाकिस्तान लगाए। इंडियन 'पैसा' लीग में टीमों का रेवेन्यू टीम रेवेन्यू प्रॉफिट/लॉस गुजरात टाइटंस 776 -57 मुंबई इंडियंस 737 109 कोलकाता नाइटराइडर्स 698 175 लखनऊ सुपरजायंट्स 695 59 चेन्नई सुपर किंग्स 676 229 पंजाब किंग्स 664 252 राजस्थान रॉयल्स 662 142 सनराइजर्स हैदराबाद 659 NA रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु 650 221 दिल्ली कैपिटल्स 580* 195* नोट: फाइनेंशियल ईयर-2024, आंकड़े करोड़ में हैं, सोर्स: टॉफ्लर       Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 211

2029 के बाद की राजनीति पर फोकस, भाजपा में मोदी युग के बाद का नेतृत्व तैयार करने में जुटा संघ

नई दिल्ली. पहले हरियाणा में हार को जीत में बदल कर तीसरी बार सरकार बनाने और फिर महाराष्ट्र में आशा के विपरीत एकतरफा तूफानी बहुमत हासिल करके भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए ने लोकसभा चुनावों में मिले खासे झटके के सदमे को नए हौसले में बदल दिया है। हालांकि, इसी दौर में जम्मू कश्मीर और झारखंड में विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी जीत हुई है, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत के जश्न और शोर में इन दोनों राज्यों में भाजपा की नाकामयाबी की चर्चा दब गई है। भाजपा की इस जीत का श्रेय यूं तो हर बार की तरह पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति को दे रही है, लेकिन दूसरी तरफ इन दोनों राज्यों की सफलता को भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने हजारों स्वयंसेवकों की मेहनत का नतीजा बताया है। आमतौर पर संघ पर्दे के पीछे रहकर ही काम करता है और चुनावी सफलता का श्रेय संघ कभी सीधे नहीं लेता है, लेकिन पहली बार उसने खुलकर इसका श्रेय अपने स्वयंसेवकों को दिया है। इसके साथ ही संघ अब मोदी युग के बाद भाजपा के नेतृत्व को गढ़ने में जुट गया है। संघ के इस रुख के कई संकेत हैं। पहला ये कि लोकसभा चुनावों में जब भाजपा के 370 और एनडीए के चार सौ पार के नारे की हवा निकली और भाजपा बमुश्किल 240 सीटें ही जीत पाई और तीसरी बार उसे अपनी सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर होना पड़ा है। तब संघ की तरफ से यह संदेश दिया गया कि ऐसा इसलिए हुआ कि लोकसभा चुनावों में आरएसएस के स्वयंसेवक उदासीन हो गए और संघ ने इन चुनावों को पूरी तरह मोदी शाह और भाजपा के भरोसे छोड़ दिया था।नतीजा ये कि भाजपा को अपने बलबूते बहुमत के आंकड़े के भी लाले पड़ गए।यह एक तरह से चुनावों के बीच में एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान कि भाजपा अब अपने पैरों पर खडी हो गई है और उसे अब संघ के सहारे की जरूरत नहीं है,का संघ की तरफ से दिया गया जवाब भी माना जा सकता है। लोकसभा चुनावों के झटके के बाद भाजपा ने हरियाणा महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों के लिए संघ की तरफ देखा और संघ ने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। संघ के हजारों स्वयंसेवक इन राज्यों में फैल गए। बताया जाता है कि अकेले हरियाणा में संघ ने छोटी बड़ी सब मिलाकर करीब बीस हजार बैठकें कीं। यह संख्या महाराष्ट्र में और भी ज्यादा थी। इन विधानसभा चुनावों के पूरे सियासी विमर्श को संघ ने ही गढ़ा। सबसे पहले उत्तर प्रदेश में संघ के चहेते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नया नारा दिया बटेंगे तो कटेंगे जो लोकसभा चुनावों में विपक्ष द्वारा सामाजिक न्याय के नाम पर किए गए जातीय ध्रुवीकरण की काट के तौर पर दिया गया था। योगी के इस नारे पर संघ प्रमुख सर संघ चालक मोहन भागवत ने मुहर लगाई और फिर नारा विधानसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी नारा बन गया। महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे थोड़ा परिष्कृत करके कहा एक हैं तो सेफ हैं। इन दोनों नारों का संदेश साफ था कि हिंदुओं जातियों में न बंट कर एकजुट होकर भाजपा के लिए मतदान करो। हरियाणा में जहां इस नारे के जरिए जाटों के वर्चस्व के जवाब में गैर जाटों का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण किया गया वहीं महाराष्ट्र में विपक्ष के मुस्लिम और जातीय ध्रुवीकरण के जवाब में यह नारा हिंदू ध्रुवीकरण का मंत्र बन गया। कोशिश झारखंड में भी की गई लेकिन वहां हेमंत सोरेन के आदिवासी ध्रुवीकरण ने बटेंगे तो कटेंगे को बेअसर कर दिया। इस नारे से बने चुनावी विमर्श और उससे आए महाराष्ट्र के नतीजों ने भाजपा पर संघ की पकड़ को फिर से मजबूत कर दिया है, जो 2019 के बाद धीरे धीरे कमजोर हो चली थी। इसका सबसे बड़ा परीक्षण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के चयन सामने आया जब करीब दो सप्ताह तक चली भारी कशमकश के बाद आखिरकार देवेंद्र फडणनवीस के नाम पर ही पार्टी ने मुहर लगाई। हालांकि, लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में भाजपा को मिली करारी हार से देवेंद्र फडणनवीस के करिश्मे पर भी ग्रहण लग गया था और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी लेते हुए उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के पेशकश भी की थी, लेकिन उसे नामंजूर करते हुए पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनावों के लिए जुट जाने को कहा और देवेंद्र फडणनवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत महायुति गठबंधन की जीत के लिए रणनीति बनाने से लेकर प्रत्याशी चयन,सीटों के बंटवारे और प्रचार अभियान का नेतृत्व करते हुए जी तोड़ मेहनत की और महायुति की महाजीत का श्रेय भी सबसे ज्यादा उन्हें ही मिला। इसलिए जब मुख्यमंत्री के नाम पर अटकलें लगीं तो सबसे ऊपर उनका ही नाम था। इसके बावजूद करीब 13 दिनों तक भाजपा उनके नाम की घोषणा इसलिए नहीं कर सकी, क्योंकि पार्टी में ही एक धड़ा उनका विरोध कर रहा था और फडणनवीस के विरोधियों ने निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक को भी इसके लिए इस्तेमाल किया कि फडणनवीस का रास्ता रोका जा सके, लेकिन आखिरकार विरोधी नाकाम हुए और संघ के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन ने देवेंद्र फडणनवीस को फिर से महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। लोकसभा चुनावों के बाद घटे इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम ने भाजपा की राजनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को फिर सत्ता के एक निर्णायक केंद्र की भूमिका में ला दिया है। संघ का अगला मिशन भाजपा के संगठन को फिर अपने प्रभाव में लेने का है, जो पिछले कुछ वर्षों में उसके हाथ से काफी हद तक फिसल गया था। इसके लिए अब संघ भाजपा अध्यक्ष पद पर किसी ऐसे नेता को बिठाने की कवायद में है जो संघ निष्ठ होने के साथ साथ पार्टी संगठन को भी संघ के विचारों संस्कारों और कार्यशैली में ढाल सके। हालांकि, अपनी इस कवायद में संघ अपने परिवार के सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नाराज और अनदेखा नहीं कर सकता है, इसलिए उसकी कोशिश है कि अध्यक्ष पद पर किसी ऐसे नेता के … Read more