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इंदौर
मास्टर प्लान की 23 सड़कों को महापौर परिषद (एमआइसी) की बैठक में हरी झंडी मिल गई। अब इन सड़कों का काम जल्द ही शुरू होगा। करीब तीन घंटे बैठक में 50 से ज्यादा प्रस्तावों पर मंथन हुआ। बैठक में सड़क चौड़ीकरण के लिए जन लोगों की जमीनें ली गई हैं, उन्हें टीडीआर सर्टिफिकेट जारी करने के लिए पोर्टल शुरू करने सहित कई प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। इसके अलावा देवगुराडिया स्थित 500 टीडीपी बायोमिथेन प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 800 टीडीपी करने, प्लांट के लिए अतिरिक्त भूमि उपलब्ध कराने, इस प्लांट के अत्याधुनिकरण करने, मुख्य मार्गों की सफाई के लिए रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदने को लेकर चर्चा हुई।

मास्टर प्लान की सड़कों को लेकर मंथन
महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अध्यक्षता में बैठक में मास्टर प्लान की सड़कों को लेकर चर्चा हुई। मास्टर प्लान की ये सड़कें शहर के यातायात को बेहतर बनाने और सिंहस्थ के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इन्हें तेजी से बनाया जाना चाहिए। चार पैकेज में बनाई जा रही इन सड़कों के लिए आई निविदाओं को बैठक में स्वीकृति दे दी गई।

450 करोड़ रुपये खर्च होंगे
महापौर ने बताया कि इन सड़कों के निर्माण पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पैसा केंद्र सरकार ने पहले ही इंदौर नगर निगम के खाते में ट्रांसफर कर दिया है। हमने केंद्र सरकार से 14 अन्य सड़कों के लिए भी 400 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की है। हम इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजेंगे।

बायोमिथेन प्लांट की क्षमता बढ़ेगी, अतिरिक्त जमीन भी देंगे
बैठक में एशिया के सबसे बड़े 500 टीडीपी क्षमता वाले बायोमिथेन प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 800 टीडीपी करने और इस प्लांट को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करने, प्लांट के लिए अतिरिक्त जमीन देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।

24 मीटर या इससे चौड़ी सड़क पर बेच सकेंगे टीडीआर
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि बैठक में टीडीआर सर्टिफिकेट पोर्टल के माध्यम से जारी करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। मास्टर प्लान की 23 सड़कों सहित अन्य सड़कें जहां नगर निगम ने चौड़ीकरण के लिए निजी जमीन ली है, वहां जमीन मालिकों को ट्रांसफरेबल डेवलमेंट राइट्स (टीडीआर) सर्टिफिटेक जारी किए जाएंगे। जहां जमीनें ली जा रही हैं वह क्षेत्र जनरेटिंग एरिया कहलाएगा। इस सर्टिफिकेट को 24 मीटर या इससे अधिक चौड़ी सड़क के आसपास होने वाले निर्माण के लिए बेचा जा सकेगा। पूरे शहर में जहां भी 24 मीटर से ज्यादा चौड़ी सड़कें हैं, वह एरिया रिसीविंग एरिया कहलाएगा।

जोन 18 को बनाएंगे आत्मनिर्भर जोन
बैठक में जोन 18 को आत्मनिर्भर जोन बनाने के नवाचार को भी हरी झंडी दी गई। नगर निगम यह नवाचार कंपनी सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के तहत करेगा। गोदरेज कंपनी इसके लिए आगे आई है। नवाचार के तहत जोन में निकलने वाले कचरे का जोन में ही निबटान किया जाएगा। जोन को आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।

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