मुंबई
ऑफिस के एक ट्रेनिंग सेशन में महिला कर्मचारी के लंबे बालों को देखकर 'ये रेश्मी जुल्फें' गाने को गाना एक पुरुष कर्मचारी पर भारी पड़ गया। उसके खिलाफ ऐक्शन लिया गया, जिसके बाद अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि महिला कर्मचारी से यह कहना कि तुम अपने बालों को संभालने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल कर रही होगी और उसके बालों से संबंधित गाना गाना 'ये रेश्मी जुल्फें' वर्कप्लेस पर उसका (महिला कर्मचारी) यौन उत्पीड़न नहीं है।
दरअसल, यह पूरा मामला एक प्राइवेट बैंक के एक पुरुष और महिला कर्मचारी से जुड़ा हुआ है। इसमें कर्मचारी विंदो कचावे ने एक मीटिंग में अपनी सहकर्मी पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद पॉश कानून के तहत उस पर कार्रवाई हुई। कचावे ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फैसला सुनाते हुए जस्टिस संदीप मार्ने की सिंगल बेंच ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि याचिकाकर्ता विंदो कचावे का यह आचरण यौन उत्पीड़न के तहत आता है।
अदालती मामलों को कवर करने वाली वेबसाइट 'लाइव लॉ' के अनुसार, जज ने अपने ऑर्डर में कहा है कि जहां तक पहली घटना का सवाल है, यह याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता के बालों की लंबाई के संबंध में टिप्पणी करने और उसके बालों से संबंधित एक गीत गाने से संबंधित है। याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता के प्रति कथित तौर पर की गई टिप्पणी को देखते हुए यह विश्वास करना मुश्किल है कि यह टिप्पणी शिकायतकर्ता को किसी भी तरह का यौन उत्पीड़न करने के इरादे से की गई थी। टिप्पणी किए जाने के समय उसने खुद कभी भी टिप्पणी को यौन उत्पीड़न नहीं माना।"
याचिकाकर्ता की ओर से वकील सना रईस खान ने कोर्ट में उसका पक्ष रखा। यह पूरा मामला 11 जून 2022 का है, जब दफ्तर के एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान पुरुष कर्मचारी ने यह नोटिस किया कि महिला अपने बालों को बार-बार एडजस्ट कर रही है और लंबे बालों की वजह से असहज दिख रही थी। इस पर उसने हल्के अंदाज में महिला से कहा कि अपने बालों को मैनेज करने के लिए तुम जेसीबी का इस्तेमाल करती होगी। इसके बाद उसे कंफर्टेबल करने के लिए वह ये रेश्मी जुल्फें गाना गाने लगा।
सुनवाई के दौरान वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता का ऑब्जेक्टिव इस कमेंट के पीछे सिर्फ इतना ही था कि अगर महिला अपने बालों से असहज है तो वह उसे बांध ले, क्योंकि इससे न सिर्फ याचिकाकर्ता, बल्कि वहां मौजूद अन्य लोगों का भी ध्यान भटका रही थी। यहां तक कि याचिकाकर्ता ने ट्रेनिंग सेशन से पहले ही सबको कह दिया था कि वह माहौल को हल्का रखने के लिए बीच-बीच में चुटकुले भी सुनाता रहेगा। जज ने अपने फैसले में कहा है कि यदि आरोपों को सही भी मान लिया जाए तो भी यह मानना मुश्किल है कि याचिकाकर्ता ने यह कमेंट करके सेक्सुअल हैरेसमेंट किया है।

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