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नई दिल्ली
कैशकांड विवाद के बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा का ट्रांसफर करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। जस्टिस वर्मा का दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किया गया है। जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर किए जाने का इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील विरोध कर रहे हैं।

होली वाले दिन जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित घर में आग लग गई थी, जिसके बाद वहां से बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। मामला सामने आने के बाद जांच की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले में इन हाउस जांच करवा रहा है। साथ ही, कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर भी कर दिया था, जिसको लेकर आज सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी। जस्टिस वर्मा से इलाहाबाद हाई कोर्ट जाकर कार्यभार संभालने के लिए कहा गया है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के राष्ट्रीय राजधानी में स्थित सरकारी आवास पर 14-15 मार्च की रात आगजनी की घटना के दौरान कथित रूप से बेहिसाब धन मिलने के मामले में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की गुहार वाली याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि इन-हाउस जांच पूरी हो जाने बाद सभी रास्ते खुले हैं।

पीठ ने कहा कि चूंकि इन-हाउस जांच चल रही है, इसलिए इस स्तर पर इस रिट याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा। अगर जरूरत पड़ी तो देश के मुख्य न्यायाधीश प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 22 मार्च को इस मामले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की एक समिति गठित की थी, जो अपना काम कर रही है। पीठ ने याचिकाकर्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा से पूछा, ''हमने अर्जी देखी है कि हमें इस स्तर पर इस पर क्यों विचार करना चाहिए।''

याचिकाकर्ता ने कहा कि जांच देश का काम नहीं है और आम जनता पूछता रहता है कि 14 मार्च को कोई प्राथमिकता क्यों दर्ज नहीं की गई। आग के दौरान कथित तौर पर मिले रुपये क्यों जब्त नहीं किए गए और दिल्ली फायर चीफ ने क्यों कहा कि कोई रुपया बरामद नहीं हुआ। हालांकि, अदालत तमाम दलीलें सुनने के बाद याचिका पर फिलहाल विचार करने से इनकार कर दिया।

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