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ढाका
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार व अंतरिम प्रधानमंत्री प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने चीन की यात्रा के दौरान भारत के खिलाफ विवादित बयान  दिया, जिससे कूटनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को "लैंडलॉक्ड" (स्थलरुद्ध) बताया और दावा किया कि बांग्लादेश इस क्षेत्र के लिए समुद्र तक पहुंच का एकमात्र संरक्षक है। यूनुस ने अपने भाषण में चीन को  बांग्लादेश में निवेश बढ़ाने  का निमंत्रण देते हुए कहा कि बांग्लादेश  चीनी अर्थव्यवस्था का "विस्तार"  बन सकता है। उन्होंने कहा,  "भारत के सात राज्य, जिन्हें 'सात बहनें' कहा जाता है, वे स्थलरुद्ध हैं। उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई तरीका नहीं है। हम इस पूरे क्षेत्र के लिए समुद्र के एकमात्र संरक्षक हैं। इससे नई संभावनाएं खुलती हैं। यह चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो सकता है।"

बांग्लादेश-चीन की बढ़ती नजदीकियां
यूनुस की इस यात्रा के दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और  बांग्लादेश की कमजोर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अधिक निवेश  की मांग की। उन्होंने कहा,  "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम चीन को अपने अच्छे मित्र के रूप में देखें। हमें आर्थिक स्थिरता और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चीन के सहयोग की आवश्यकता है।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब  चीन बांग्लादेश में अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है  और भारत-बांग्लादेश के संबंधों में बदलाव देखने को मिल रहा है।  विशेषज्ञों का मानना है कि **बांग्लादेश की चीन पर बढ़ती निर्भरता भारत के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक मोर्चे पर एक नई चुनौती बन सकती है।

नेपाल और भूटान का जिक्र भी किया
यूनुस ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल और भूटान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "नेपाल और भूटान के पास असीमित जलविद्युत (Hydropower) क्षमता है, जो हमारे लिए एक वरदान है। हम इसका उपयोग कर सकते हैं। बांग्लादेश से आप कहीं भी जा सकते हैं। यह क्षेत्र के लिए समुद्र का एकमात्र प्रवेश द्वार है।"

भारत की कड़ी प्रतिक्रियाएं
यूनुस के इस बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं।  असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे "अपमानजनक और निंदनीय"  बताया। उन्होंने कहा कि यह बयान  भारत के रणनीतिक 'चिकन नेक' कॉरिडोर की संवेदनशीलता को उजागर करता है। उन्होंने भारत सरकार से  पूर्वोत्तर को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए मजबूत रेलवे और सड़क नेटवर्क विकसित करने की अपील की।  भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा,  "अगर चीन बांग्लादेश में निवेश करना चाहता है तो करे, लेकिन भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के स्थलरुद्ध होने का इससे क्या संबंध?"  

सुरक्षा विश्लेषक ने भी आपत्ति जताई
रक्षा विशेषज्ञ ध्रुव काटोच ने इसे भारत के लिए चेतावनी  करार दिया और कहा कि यूनुस चीन को यह संदेश दे रहे हैं कि बांग्लादेश चीन को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, नेपाल और भूटान तक पहुँचाने का मार्ग दे सकता है।   राजनीतिक और सुरक्षा विश्लेषक क्रिस ब्लैकबर्न ने भी इस बयान पर आपत्ति जताई और कहा,"यह बहुत ही परेशान करने वाला बयान है। क्या यूनुस खुलेआम चीन को भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों में हस्तक्षेप करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं?" रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यूनुस का बयान भारत के लिए एक चेतावनी हो सकता है क्योंकि चीन पहले ही अरुणाचल प्रदेश के पास महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, बांध और गांवों का निर्माण कर चुका है।

भारत के लिए बढ़ती चुनौती
चीन भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगातार अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत कर रहा है। उसने पहले ही अरुणाचल प्रदेश के पास कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू कर दिए हैं और इसे "दक्षिण तिब्बत" का हिस्सा बताता है।भारत भी इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे (NH-913) का निर्माण कर रहा है, जिसे देश की सबसे महत्वपूर्ण सीमा परियोजना माना जा रहा है।

 

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