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नई दिल्ली
सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बिल सहिष्णुता और विविधता के खिलाफ है। इस बिल के जरिए संविधान को कमजोर किया जा रहा है, जो सबको संरक्षण की गारंटी देता है। इमरान मसूद ने वक्फ बिल का विरोध करते हुए काशी विश्वनाथ ट्रस्ट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में 22 मेंबर होंगे और उनमें से 10 ही मुसलमान होंगे। इस तरह गैर-मुस्लिम भाइयों का वक्फ बोर्ड में बहुमत होगा। अभी काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को लेकर नियम है कि डीएम पदेन अधिकारी होगा। लेकिन यदि मौके पर डीएम कोई मुस्लिम होगा तो उससे नीचे या फिर ऊपर कोई और अधिकारी पदेन अध्यक्ष होगा।

इमरान मसूद ने कहा कि भीमराव आंबेडकर के संविधान में सभी नागरिकों के संरक्षण का वादा किया था। उनका कहना था कि राजनीतिक लोकतंत्र तब तक नहीं टिक सकता, जबकि उसकी बुनियाद में सामाजिक लोकतंत्र न हो। संविधान सभी को समानता की गारंटी देता है। वक्फ बिल को जिन लोगों ने ड्राफ्ट किया था, उनमें से ज्यादातर वही थे, जिन्हें उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। 90 फीसदी लोग नहीं बता पाएंगे कि पाकी और नापाकी क्या होता है। यह बात सिर्फ मुसलमान ही बता पाएंगे। मुसलमान ही बता पाएंगे कि उनकी क्या जरूरत है। वक्फ का मैनेजमेंट तो सरकार के ही हाथ में है।

वक्फ बिल के एक-एक प्रावधान पर जमकर बोले इमरान मसूद
विभिन्न राज्यों के बोर्डों द्वारा बताया गया कि कितनी वक्फ संपत्तियों पर विवाद है। अब जो वक्फ बिल है, उसमें लिखा है कि वही संपत्ति बोर्ड के दायरे में होगी, जो पूरी तरह विवाद से मुक्त हो। यूपी में 11,5000 हेक्टेयर भूमि को सरकारी घोषित कर दिया गया है और विवाद है। अब नए बिल के अनुसार यह संपत्ति वक्फ की नहीं रह जाएगी। वक्फ की संपत्ति के विवादों को सुनने की ताकत अब ट्राइब्यूनल से बाहर की जा रही है। लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि सक्षम अधिकारी कब तक फैसला देंगे। इस तरह से संपत्ति पर जब तक विवाद समाप्त नहीं होगा, तब तक उस पर अधिकार सरकार का होगा। अब जो स्थिति है, उसमें वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण करने वाले लोग भी जाकर दावा कर सकेंगे। इस तरह उनके सामने खुला मैदान होगा कि वे चाहें तो कब्जा ही जमा लें।

'कोई और ट्रस्ट बताएं, जिसमें दूसरे धर्मों के लोगों की एंट्री हो'
कांग्रेस नेता ने कहा कि आप कोई और दूसरा ट्रस्ट बताइए, जो धर्म के नाम पर हो और उनके साथ ऐसा हो रहा हो। आपकी नजर दूसरे समुदायों की जमीन पर भी है। उन्होंने कहा कि हमें अभी सौगात-ए-मोदी मिली, जिसमें ईद की सेवाइयां थीं। हमें ऐसी सौगात नहीं चाहिए बल्कि वह सौगात दीजिए, जिससे हमारे सीने पर गोलियां न मारी जाएं। हमें समानता का अधिकार मिले। ऐसा कानून लाएं और हमारी रक्षा की जाए।

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