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वैशाख का महीना भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है. इस पूरे माह में श्री हरि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. वहीं इस माह की अमावस्या तिथि के दिन भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से आपको विशेष लाभ होता और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस बार वैशाख माह की अमावस्या तिथि 27 अप्रैल यानी कल है. वैशाख अमावस्या पर स्नान, दान और पूजा करना शुभ माना जाता है.साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण, पिंड़दान और श्राद्ध भी किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से आपको मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

वैशाख अमावस्या पूजा विधि
वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर इष्ट देव को प्रणाम करें. इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें. अब सूर्य देव को अर्घ्य दें. उसके बाद भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और व्रत करने का संकल्प करें. इसके साथ जप, तप और दान करें. वह लोग जिनके पूर्वजों का पिंड दान नहीं हुआ है, वह इस दिन अपने पितरों को तर्पण कर सकते हैं. पूजा-पाठ के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद क्षमतानुसार दान दक्षिणा दें.

वैशाख अमावस्या पूजा मंत्र
ॐ पितृ देवतायै नम: ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:। ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

वैशाख अमावस्या महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैशाख अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसके अलावा अमावस्या तिथि को पितरों को याद करने का विशेष महत्व है. इस दिन लोग पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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