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वॉशिंगटन
अमेरिका ने तुर्की को 304 मिलियन डॉलर की मिसाइलों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। यह कदम नाटो सहयोगी व्यापार और रक्षा संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। हाल के समय में जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे, तब तुर्की ने ही पाकिस्तान की मदद की थी। न सिर्फ उसने 350 से ज्यादा तुर्की ड्रोन पाकिस्तान को दिए थे, बल्कि उन्हें ऑपरेट करने के लिए मिलिट्री ऑपरेटिव को भी भेजा था। इसके बाद से ही तुर्की और भारत के संबंध भी खराब होने लगे हैं और भारत की जनता उसे एक 'दुश्मन' देश की तरह मानने लगी है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या अमेरिका डबल गेम खेल रहा है। एक ओर वह भारत से अच्छे रिश्ते की बात करता है तो दूसरी ओर पाकिस्तान की मदद करने वाले तुर्की को भी हथियार देने से भी पीछे नहीं हटता।

अमेरिका और तुर्की के बीच हथियारों का यह सौदा ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो गुरुवार को नाटो विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए तुर्की गए थे। हालांकि, अभी इस सौदे में अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत है। रुबियो के अगले दिन युद्ध विराम के बारे में रूसी और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच संभावित वार्ता के लिए इस्तांबुल जाने की उम्मीद है। रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने बताया है कि तुर्की ने 225 मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत से 53 एडवाइंस मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और 79.1 मिलियन डॉलर की लागत से 60 ब्लॉक II मिसाइलों का अनुरोध किया है। आरटीएक्स कॉर्पोरेशन बिक्री के लिए मुख्य ठेकेदार होगा।

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोगन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक बैठक का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अंकारा द्वारा रूसी मिसाइल-रक्षा प्रणाली की खरीद और सीरियाई कुर्द मिलिशिया के लिए वॉशिंगटन के समर्थन से उत्पन्न तनावपूर्ण संबंधों को फिर से बेहतर किया जा सके। तुर्की और अमेरिका अमेरिका समर्थित कुर्द बलों, जिनके संबंध अलगाववादी तुर्की समूह पीकेके से हैं, को नई सीरियाई सेना में शामिल करने पर बातचीत कर रहे हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में पीकेके ने घोषणा की कि वह तुर्की के खिलाफ स्वायत्तता के लिए 40 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए अपने हथियार डाल देगा। अमेरिका और तुर्की के पास नाटो में दो सबसे बड़ी सेनाएं हैं।

अमेरिकी एफ-35 फाइटर जेट्स भी खरीदना चाहता है तुर्की
इतना ही नहीं, तुर्की ने बार-बार हथियार खरीद में अमेरिका के F-35 फाइटर जेट्स को शामिल करने का इरादा जताया है। हालांकि इसके लिए अमेरिका को अंकारा पर रूसी S-400 मिसाइल-रक्षा प्रणाली के अधिग्रहण के बाद लगाए गए पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को खरीदने पर प्रतिबंध हटाना होगा। तुर्की द्वारा रूसी S-400 की खरीद के परिणामस्वरूप वॉशिंगटन के साथ गतिरोध पैदा हो गया था, जिसके कारण बाद में अमेरिका ने CAATSA के रूप में जाने जाने वाले प्रतिबंध लगाए। हालांकि, अंकारा ने वॉशिंगटन की मांग के अनुसार एस-400 को त्यागने से इनकार कर दिया है, लेकिन उसे उम्मीद है कि ट्रंप CAATSA में संशोधन करने के लिए सहमत हो सकते हैं, जिससे तुर्की लॉकहीड मार्टिन कॉर्प द्वारा निर्मित एफ-35 जेट खरीद सकेगा।

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