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भोपाल

मध्य प्रदेश सरकार अब शहरी विकास को जनभागीदारी के माध्यम से गति देने की तैयारी कर रही है। 'जलगंगा अभियान' की तर्ज पर नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और स्थानीय संस्थाओं को एकजुट कर स्वच्छता, पर्यावरण, पौधरोपण और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में काम किया जाएगा। इसका उद्देश्य केवल आधारभूत ढांचे का विस्तार नहीं, बल्कि लोगों में विकास कार्यों के प्रति स्वामित्व और जिम्मेदारी का भाव जागृत करना है।

जनशक्ति से जीवित हुए जलस्रोत
भिंड जिले के लहरौली गांव में काली पोखर का पुनर्जीवन एक मिसाल बन चुका है, जिसे ग्रामीणों और पोरवाल परिवार के सहयोग से जलगंगा अभियान के अंतर्गत फिर से पीने योग्य बनाया गया। इसी तरह इंदौर नगर निगम ने नागरिक सहभागिता से 411 कुओं, बावड़ियों और 15 तालाबों का पुनरुद्धार किया है। अब सरकार इसी मॉडल को शहरी क्षेत्रों में लागू करने की योजना बना रही है।

विकास कार्यों में साझा निवेश
सरकार की योजना के अनुसार, विकास कार्यों में न सिर्फ स्थानीय लोग श्रमदान करेंगे, बल्कि आर्थिक सहयोग भी करेंगे। यह त्रिस्तरीय सहभागिता सांसद, विधायक और पार्षद निधि से भी समर्थित होगी। साथ ही स्थानीय कारोबारी और औद्योगिक इकाइयों को भी इस मुहिम में जोड़ा जाएगा।

मोहल्ला समितियों को मिलेगा अधिकार
हर मोहल्ले में विकास समिति बनाई जाएगी, जो स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों की जरूरतों को चिन्हित कर प्रस्ताव तैयार करेगी। यह प्रस्ताव इंजीनियरों और पार्षदों की मदद से निगम अथवा जिला प्रशासन को भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया से विकास की योजना अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनेगी।
 

विकास निधियों की राशि
सांसद निधि: 5 करोड़ रुपये
विधायक निधि: 3.25 करोड़ रुपये
महापौर निधि: 5 करोड़ रुपये
नगर निगम अध्यक्ष निधि: 2 करोड़ रुपये
पार्षद निधि: 25 लाख रुपये

 

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