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 भिंड

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक तहसीलदार को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया गया, क्योंकि तहसीलदार कार्यालय की ओर से जारी किए गए मृत्यु प्रमाण-पत्रों के सभी कॉलम में 'भिंड' लिखा पाया गया.यह कार्रवाई तब की गई, जब सोशल मीडिया पर एक ऐसे प्रमाण-पत्र को पोस्ट किया गया, जिसमें आवेदक और मृतक के नाम व मृत्यु के स्थान के कॉलम में 'भिंड' लिखा हुआ था. यह पोस्ट 'भिंड का मृत्यु प्रमाण-पत्र' के रूप में ट्रेंड करने लगा.भिंड के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट एल के पांडे ने पुष्टि की कि तहसीलदार मोहन लाल शर्मा को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया गया है.भिंड के चतुर्वेदी नगर कॉलोनी निवासी गोविंद ने लोक सेवा केंद्र में अपने पिता रामहेत के मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया था. यह प्रमाण पत्र 5 मई को तहसीलदार कार्यालय की ओर से जारी किया गया था.मामले से परिचित लोगों ने बताया कि प्रमाण पत्र के सभी कॉलम में 'भिंड' लिखा हुआ था.

जब इस संबंध में तहसीलदार से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसे 'टाइपिंग की गलती' बताया और लोक सेवा केंद्र को दोषी ठहराया.

नाम, पता और स्थान सभी जगह लिख दिया भिंड

दरअसल, ये पूरा मामला शहर के चतुर्वेदी नगर का है. यहां रहने वाले गोविंद के पिता रामहेत का निधन वर्ष 2018 में हो गया था. अप्रैल 2025 में जब उनके परिवार को डेथ सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ी, तो उन्होंने आवेदन किया. 5 मई 2025 को जब भिंड तहसीलदार कार्यालय से प्रमाण पत्र जारी हुआ, तो इसे देखकर आवेदक के साथ ही बाकी के दूसरे लोग चौंक गए, क्योंकि उस प्रमाण पत्र में मृतक का नाम “भिंड”, पता “भिंड” और स्थान “भिंड” दर्ज था.

सोशल मीडिया पर लोग ले रहे हैं चुटकी

अब यह गजब सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो चुका है. लोग कह रहे हैं कि लगता है इस बार पूरा जिला ही चल बसा! जब तहसीलदार मोहन लाल शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने इसे “टाइपिंग मिस्टेक” करार दिया और दोष लोकसेवा केंद्र के सिर मढ़ दिया.

लोकसेवा प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई

तहसीलदार ने इस मामले में लोकसेवा प्रबंधन को दोषी मानते हुए केंद्र के संचालक को नोटिस जारी कर दिया है और 25 हजार रुपये की पेनल्टी का शोकॉज नोटिस भी थमा दिया है. उनका दावा है कि आगे से इस तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए सख्ती बरती जा रही है. नोटिस जारी करने से पहले तहसीलदार साहब यह भूल गए की मृत्यु प्रमाण-पत्र पर खुद के भी डिजिटल सिग्नेचर है.

कठघरे में तहसीलदार

सवाल यह है कि सिग्नेचर करने से पहले तहसीलदार साहब ने क्यों नहीं देखा. लापरवाही तो उनकी भी बनती है. हालांकि, अपर कलेक्टर एलके पांडेय ने तहसीलदार माखनलाल शर्मा की गलती मानते हुए तहसीलदार को तहसील कार्यालय से हटाकर भू-अभिलेख में अटैच कर दिया है.

अब सवाल ये है कि जब एक जिले का नाम मृत्यु प्रमाण पत्र में मृतक के रूप में आ सकता है, तो आम आदमी अपने कागज़ात की शुद्धता की उम्मीद आखिर कैसे करे? जबकि, सरकारी दस्तावेजों में ज़रा सी चूक भी आमजन के लिए भारी परेशानी का सबब हो सकती है. ऐसे में उम्मीद है कि इस वायरल मौत से व्यवस्था कुछ सबक लेगी!

 

 

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