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नई दिल्ली
दक्षिण पश्चिम मानसून शनिवार को केरल पहुंच गया। 16 साल में यह पहला मौका है जब मानसून ने 8 दिन पहले दस्तक दी है। आमतौर पर 1 जून से केरल में मानसून की बारिश शुरू होती है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, सब कुछ ठीक रहा तो 4 जून से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात सहित मध्य भारत के बड़े हिस्से में भी बारिश शुरू हो जाएगी। पिछली बार केरल में मानसून इतनी जल्दी 2009 और 2001 में आया था, जब 23 मई से बारिश शुरू हो गई थी।

केरल में मानसून के आगमन से पहले अनुकूल परिस्थितियां विकसित हो गई थीं। पिछले दो दिनों में केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है। इसका कारण निम्न दबाव का क्षेत्र और आगे बढ़ रहा मानसून सिस्टम है। आईएमडी ने मुताबिक, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश के साथ ही दक्षिण, मध्य और उत्तर बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों और पूर्वोत्तर राज्यों में 22 से 27 मई के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं।

29 मई से 4 जून के दौरान मानसून के दक्षिण प्रायद्वीपीय और पूर्वोत्तर भारत के शेष हिस्सों के साथ ही पूर्व और मध्य भारत के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ जाएगा। इस दौरान देश के अन्य हिस्सों मे प्री-मानसून बारिश जारी रहेगी।

इस तरह आगे बढ़ेगा मानसून
मौसम विभाग के अनुसार, 28 मई तक मानसूनी हवा को सही तरीके से साथ आगे बढ़ाने के सिस्टम बन रहे हैं। अरब सागर में कोंकण-गोवा तट पर एक कम दबाव का क्षेत्र बन रह है। वहीं तेलंगाना और मध्य प्रदेश में कम दबाव के बीच चलने वाली दो ट्रफ भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद करेगी। पंजाब और असम में चक्रवाती तूफान की स्थिति भी मानसून की मदद करेगी। शनिवार तक अरब सागर में बना कम दबाव का क्षेत्र उत्तर की ओर बढ़ने लगेगा। आईएमडी के अधिकारियों ने कहा कि इससे मानसूनी हवाएं मजबूत हो सकती हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के चक्रवात में बदलने की संभावना कम है।

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