नई दिल्ली
अगर आप भी रोज़ाना यूपीआई ऐप्स जैसे Google Pay, PhonePe या Paytm से पेमेंट करते हैं, तो अब सतर्क हो जाइए। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) UPI सिस्टम में नए API नियम लागू करने जा रहा है, जिनका सीधा असर आपके रोज़मर्रा के ट्रांजैक्शन पर पड़ेगा। ये बदलाव न केवल आपकी सुविधा को सीमित करेंगे, बल्कि आपके बैलेंस चेक, ऑटोपे और ट्रांजैक्शन स्टेटस जैसे फीचर्स पर भी सीधी रोक लगाएंगे। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) का कहना है कि यह कदम सिस्टम पर बढ़ते लोड को कम करने और सेवाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए जरूरी है।
क्यों लाया गया ये नियम?
NPCI का कहना है कि तेजी से बढ़ते डिजिटल ट्रांजैक्शन के कारण UPI सिस्टम पर जबरदस्त लोड पड़ रहा है, खासकर 'पीक ऑवर्स' यानी सबसे व्यस्त समय के दौरान। इस लोड को संतुलित करने और बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए कुछ सामान्य फीचर्स जैसे बैलेंस चेक, ऑटोपे और ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक को सीमित किया जाएगा।
जानिए क्या-क्या बदलेगा
बैलेंस चेक पर लिमिट
31 जुलाई 2025 से कोई भी यूज़र एक दिन में एक ऐप के जरिए अधिकतम 50 बार ही अपना बैंक बैलेंस चेक कर सकेगा। इसके अलावा, पीक ऑवर्स (सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक) में बैलेंस चेक की सुविधा सीमित या बंद की जा सकती है।
ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक पर कंट्रोल
यदि कोई ट्रांजैक्शन पेंडिंग या फेल हो जाता है, तो उसकी स्थिति को बार-बार जांचने पर भी रोक होगी। एक ट्रांजैक्शन के स्टेटस को दो घंटे में अधिकतम तीन बार ही चेक किया जा सकेगा।
ऑटोपे फीचर भी नॉन-पीक समय में ही
जो यूज़र OTT सब्सक्रिप्शन, SIP या किसी अन्य सर्विस के लिए UPI ऑटोपे का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि ऑटोपे का ऑथराइजेशन और डेबिट प्रोसेसिंग केवल नॉन-पीक टाइम में ही होगी। हर ऑटोपे मैन्डेट के लिए अधिकतम तीन प्रयास (3 retries) की इजाजत होगी।
बैंक की जिम्मेदारी भी बढ़ी
NPCI ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि हर सफल लेनदेन के बाद ग्राहकों को बैलेंस अलर्ट भेजा जाए, जिससे ग्राहक बार-बार बैलेंस चेक न करें। इसके अलावा, कुछ खास प्रकार की एरर की स्थिति में बैंक को ट्रांजैक्शन फेल मानकर सिस्टम से क्लियर करना होगा।
क्यों जरूरी है ये बदलाव?
इन नए निर्देशों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि UPI जैसी अहम डिजिटल सुविधा सभी को फास्ट और भरोसेमंद ढंग से मिल सके। लगातार बढ़ती डिजिटल भीड़ और ट्रांजैक्शन की संख्या को ध्यान में रखते हुए, NPCI इस तरह की टेक्निकल सफाई ला रहा है ताकि नेटवर्क स्लोडाउन या फेल्योर जैसी समस्याओं से बचा जा सके।

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