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रोहतम

पिछले वर्ष मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में मिली हार से आहत कांग्रेस हरियाणा में जीत की तलाश में है। इसके लिए पार्टी के भीतर जारी कलह को साधने की पुरजोर कोशिश कर रही है। मतभेदों को दूर करने के लिए अत्यधिक सावधानी से कदम उठा रही है। हालांकि, देश की सबसे पुरानी पार्टी को इसमें उतनी सफलता मिलती नहीं दिख रही है।

राहुल गांधी ने भले ही दो कद्दावर नेताओं कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक मंच पर हाथ मिलवाया, लेकिन दोनों के रिश्ते उतने भी सहज नहीं हैं।

कुमारी शैलजा से जब सीएम पद की उम्मीदवारी और भूड्डा से उनके संबंधों के बारे में पूछा गया तो दोनों के बीच की दूरी साफ झलकने लगी। उनसे जब पूछा गया कि आपकी हुड्डा से आखिरी बार बात कब हुई तो वह सोच में पड़ गईं।

कुमारी शैलजा के बयान से यही बात लगती है कि दोनों के रिश्तों में आज भी दूरी बनी हुई है। कुमारी शैलजा ने कहा कि मैं याद करने की कोशिश कर रही हूं कि मेरी हुड्डा जी से आखिरी बार कब बात हुई थी।

इंटरव्यू के दौरान ही कुमारी शैलजा ने बताया कि जब वह हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी बात हो जाती थी। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों की बातचीत नहीं होती हैं।

आपको बता दें कि प्रचार अभियान के अंतिम चरण में एकता का परिचय देते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी धुर विरोधी और सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा को अंबाला जिले के नारायणगढ़ से हरियाणा विजय संकल्प यात्रा शुरू करने से पहले हाथ मिलाकर बधाई दी थी। नारायणगढ़ मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का पैतृक स्थान भी है।

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