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प्रयागराज
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सीबीआई और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भारत से अपने पति के साथ अमेरिका के सिएटल में बसने गयी एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की जांच का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने मेरठ जिले की कल्पना माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका पर यह निर्देश पारित किया। पीठ ने कहा, “मौजूदा मामले में यह स्पष्ट है कि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत जांच करने के लिए राज्य सरकार की सहमति लेने की कोई जरूरत नहीं है। फिर भी, राज्य सरकार ने मौजूद मामले में सीबीआई जांच कराने की अपनी सहमति के बारे में विदेश मंत्रालय को अवगत करा दिया था।”

अदालत ने कहा, “सीबीआई और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग हालांकि अनावश्यक रूप से तकनीकी मुद्दे उठाते रहे और अमेरिका में याचिकाकर्ता की बेटी की मौत की जांच कराने के लिए कोई सार्थक कार्रवाई करने के बजाय एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। हमने देखा कि लघु जवाबी हलफनामा दाखिल कर केंद्र और अन्य प्रतिवादी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं और कुछ नहीं कर रहे हैं।”

इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, याचिकाकर्ता की बेटी अंशु माहेश्वरी का विवाह 27 नवंबर, 2020 को सुमित बिनानी के साथ हुआ था। इसके बाद, दोनों अमेरिका चले गए जहां सिएटल में एक घर में हुए विस्फोट में याचिकाकर्ता की बेटी की मृत्यु हो गई।
जब याचिकाकर्ता को इस बारे में पता चला, उन्होंने 28 सितंबर, 2023 को मेरठ के मेडिकल कॉलेज पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई जिसमें सुमित बिनानी के खिलाफ दहेज के लिए हत्या का आरोप लगाया गया। प्राथमिकी की एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई।

मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने 15 अक्टूबर, 2023 को मेरठ जोन के आईजी को एक रिपोर्ट सौंपते हुए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की क्योंकि अपराध भारत से बाहर किया गया था। अंततः इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया, लेकिन सीबीआई की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई जिस पर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

 

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