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नई दिल्ली
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन समेत संयुक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं में सुधारों पर जोर देते हुए कहा है कि इससे वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय और सतत एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देने का साझा दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में सचिव सुमिता डावरा ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की 352 वीं शासी निकाय की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र के सभी निकायों में भारत सुधारों का व्यापक समर्थन करता है।
अंतरराष्ट्रीय संगठन की बैठक 28 अक्टूबर से सात नवंबर तक स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित की जा रही है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सुश्री सुमिता डावरा कर रही हैं। मंत्रालय ने शनिवार को यहां बताया कि लोकतंत्रीकरण के प्रस्ताव पर चर्चा में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की सराहना की और संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों में सुधारों पर जोर दिया।
भारत ने कहा कि एक व्यापक दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि संयुक्त राष्ट्र निकाय वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय और सतत एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देने के साझा दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए अधिक तालमेल से काम करें। भारत ने कहा कि जनसंख्या और कार्यबल को ध्यान में रखते हुए भौगोलिक विविधता अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के भीतर अधिक न्यायसंगत और संतुलित भौगोलिक प्रतिनिधित्व के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए।
अन्य चर्चाओं के दौरान, सुश्री डावरा ने समावेशी आर्थिक नीतियों के महत्व पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण नौकरियों के सृजन, सामाजिक सुरक्षा और लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भारत में समाज के सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं के लिए अच्छे काम के अवसर पैदा करने के प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार पिछले नौ वर्षों में 24 करोड़ 80 लाख व्यक्ति गरीबी से बाहर निकल आए हैं। सरकारी नीतियों, कौशल विकास कार्यक्रमों और आर्थिक विकास के साथ आर्थिक गतिविधियों में लगभग 17 लोगों को जोड़ा गया है । उन्होंने सामाजिक सुरक्षा के लिए भारत में शुरू की गई गरीब कल्याण अन्न योजना, जनधन और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का भी उल्लेख किया।

 

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