MY SECRET NEWS

नई दिल्ली
भारत ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपने पुराने रुख को मजबूत करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव में 1967 से कब्जा की गई फिलिस्तीनी जमीन, जिसमें पूर्वी यरुशलम भी शामिल है, से इजराइल को हटने के लिए कहा गया है। यह प्रस्ताव "फिलिस्तीन के सवाल का शांतिपूर्ण समाधान" शीर्षक से पेश किया गया था, जिसे सेनेगल ने प्रस्तावित किया। इसे 157 देशों का समर्थन मिला, जबकि 8 देशों – इजराइल, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, अर्जेंटीना और हंगरी ने इसका विरोध किया।  कई देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें यूक्रेन, जॉर्जिया और चेकिया शामिल हैं। भारत का समर्थन इस बात को दोहराता है कि वह फिलिस्तीन के लिए "दो राष्ट्र समाधान"  का पक्षधर है। भारत का यह कदम मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने और फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता देने की उसकी प्रतिबद्धता को दिखाता है।  

प्रस्ताव की मुख्य बातें
1. इजराइल से तुरंत कब्जा छोड़े जाने की मांग, खासकर पूर्वी यरुशलम से।  
2. फिलिस्तीनी जनता के आत्मनिर्णय और स्वतंत्र राष्ट्र स्थापित करने के अधिकार को मान्यता।  
3. इजराइल से अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जुलाई 2024 के निर्णय का पालन करने की मांग।  
4. गाजा पट्टी में किसी भी जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय बदलाव को खारिज किया गया।  

इजराइल-फिलिस्तीन विवाद का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से इजराइल से फिलिस्तीनी क्षेत्रों को छोड़ने की मांग करता रहा है। यह विवाद दशकों पुराना है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच विभाजन का कारण बना हुआ है। हालांकि, अमेरिका जैसे देश इस तरह के प्रस्तावों का विरोध करते रहे हैं और इजराइल का समर्थन करते हैं।  

सीरियाई गोलान हाइट्स पर भारत का रुख
फिलिस्तीन के समर्थन के साथ, भारत ने सीरियाई गोलान हाइट्स से इजराइल की वापसी की मांग वाले एक अन्य प्रस्ताव का भी समर्थन किया। इसमें 1967 के बाद से इजराइल द्वारा अवैध बस्तियों और अन्य गतिविधियों की आलोचना की गई है। यह प्रस्ताव 97 देशों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि 64 देशों ने मतदान से दूरी बनाई। 

Loading spinner
यूजफुल टूल्स
QR Code Generator

QR Code Generator

Age Calculator

Age Calculator

Word & Character Counter

Characters: 0

Words: 0

Paragraphs: 0