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नई दिल्ली
साल 2019 से आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाने के लिए एक अहम कदम उठाया था। आईसीसी ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत की थी। इसमें टॉप की 9 टीमों को अपनी पसंद की 6 टीमों से टेस्ट सीरीज दो साल के चक्र में खेलने थी। इनमें तीन सीरीज घर पर और इतनी ही सीरीज टीमों को विदेश में खेलने का प्रस्ताव था। अगस्त 2019 से इसकी शुरुआत एशेज के साथ हुई। उस समय कहा गया कि जो टीम पॉइंट्स टेबल में शीर्ष पर होगी, उसको डब्ल्यूटीसी फाइनल में खेलने का मौका मिलेगा। हालांकि, इसके बाद कोरोना के कारण मैच और सीरीज कम हो गईं। कुछ सीरीज कैंसिल हो गईं। ऐसे में आईसीसी ने अपनाया कि जीत प्रतिशत के हिसाब से टीमें फाइनल में पहुंचेंगी। उसके बाद से ऐसा चला आ रहा है, लेकिन कुछ टीमों के लिए ये नियम घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इसी के बारे में आप यहां जान लीजिए।

दरअसल, डब्ल्यूटीसी को टेस्ट क्रिकेट का वर्ल्ड कप कहा जाता है, लेकिन ये दो साल तक चलता है और एक फाइनल के बाद ये तय होता है कि कौन सी टीम इस फॉर्मेट की चैंपियन है। दो बार डब्ल्यूटीसी का फाइनल खेला जा चुका है। एक बार न्यूजीलैंड और एक बार ऑस्ट्रेलिया ने खिताब जीता है। दोनों बार भारतीय टीम उपविजेता रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल इस टूर्नामेंट के फॉर्मेट को लेकर है, क्योंकि कोई टीम को तो महज 12 मैच खेलती है और कोई टीम 22 मैच खेलती है। अगर जीत के हिसाब से भी देखा जाए तो मौजूदा WTC पॉइंट्स टेबल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाली टॉप 2 तो छोड़िए टॉप 4 में भी नहीं है। वहीं, महज 10 मैच खेलकर उनमें से 6 मुकाबले जीतने वाली टीम शीर्ष पर है।

साउथ अफ्रीका ने इस डब्ल्यूटीसी साइकिल में 10 मैच खेले हैं और 6 जीते हैं। एक मैच टीम का ड्रॉ रहा है और तीन मैच गंवाएं हैं। इस तरह साउथ अफ्रीका का जीत प्रतिशत सबसे ज्यादा है, लेकिन इसी साइकिल में इंग्लैंड की टीम अब तक 21 मैच खेल चुकी है और 11 मुकाबले जीत चुकी है, लेकिन टीम पांचवें नंबर पर है। इंडिया ने 16 में से 9 मैच जीते हैं और टीम तीसरे नंबर पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि या तो आईसीसी को पॉइंट्स टेबल में बदलाव करने चाहिए, ताकि उन टीमों को नुकसान ना हो, जो ज्यादा मैच खेलती हैं। या फिर एक नियम बना देना चाहिए कि कम से कम तीन मैचों की टेस्ट सीरीज ही WTC में काउंट होगी। अगर कोई देश पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलता है तो उसके पहले तीन या आखिरी तीन मैच ही WTC साइकिल में काउंट होंगे।

एक और बदलाव ये किया जा सकता है कि मौजूदा सिनेरियो के हिसाब से अगर कोई टीम तीन या इससे ज्यादा मैचों की टेस्ट सीरीज को जीतती है तो उसे कुछ पॉइंट अतिरिक्त दिए जाएं। इस तरह जो पॉइंट्स टेबल तैयार होगी, वह सभी के लिए फेयर रहेगी, क्योंकि अगर किसी टीम ने दो मैचों की सीरीज 2-0 से जीत ली तो उसे 100 फीसदी पॉइंट मिलेंगे, लेकिन किसी ने पांच मैचों की सीरीज 3-2 से जीती तो उसके पॉइंट्स सिर्फ 20 फीसदी ही रहेंगे। ऐसे में टेस्ट सीरीज जीतने के मायने नहीं रहते। अगर सीरीज दो मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर भी रहती है तो भी 50 फीसदी पॉइंट टीमों को मिलते हैं। ऐसे में ज्यादा टेस्ट मैच खेलने वाली टीम तो फिर फाइनल खेलेंगी ही नहीं। ऐसा ही इस समय इंग्लैंड के साथ हो रहा है, जिसको लेकर उनकी टीम के कप्तान बेन स्टोक्स भी आवाज उठा चुके हैं।

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