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जयपुर
राजस्थान विधानसभा में सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया अध्याय लिखा गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस के हंगामे के बीच राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस का जवाब दिया और विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया। खासतौर पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के न बोलने को लेकर मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर "षड्यंत्र" का आरोप लगाते हुए इसे पार्टी की अंदरूनी कलह करार दिया। हंगामे के बीच विपक्षी विधायक नारे फोन टैपिंग बंद करो, मुख्यमंत्री इस्तीफा दो के नारे लगाते रहे।

कांग्रेस के अंदरूनी संघर्ष पर तंज
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर वंचित वर्ग से आने वाले नेता प्रतिपक्ष को बोलने से रोका, जिससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी के भीतर गहरी खींचतान चल रही है। सत्ता पक्ष के इस आरोप से एक ओर जहां कांग्रेस की आंतरिक राजनीति पर सवाल उठते हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट होता है कि भाजपा इस मुद्दे को एक बड़े चुनावी नैरेटिव के रूप में देख रही है।

राज्य की योजनाओं पर आरोप-प्रत्यारोप
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार और धीमी गति का आरोप लगाया। यह बयान स्पष्ट करता है कि भाजपा आने वाले समय में कांग्रेस शासन की नाकामियों को जोर-शोर से उठाकर खुद को मजबूत स्थिति में लाने की रणनीति अपना रही है।

चार साल बाद कांग्रेस के विधायक सदन में नहीं दिखेंगे?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का यह दावा कि "चार साल बाद कांग्रेस विधायक सदन में नजर नहीं आएंगे", यह दिखाता है कि भाजपा अपने चुनावी भविष्य को लेकर बेहद आत्मविश्वास से भरी हुई है। हालांकि, यह दावा करना जल्दबाजी होगी कि कांग्रेस पूरी तरह हाशिए पर चली जाएगी, लेकिन विधानसभा में मौजूदा गतिरोध और कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी को देखते हुए भाजपा के लिए यह अवसर जरूर है कि वह अपनी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करे।

उपचुनाव के नतीजों पर सियासी वार
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर तंज कसते हुए कहा कि "मोरिया किसका बोला?" यानी उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस की हार की ओर इशारा करते हैं। इससे साफ है कि भाजपा राजस्थान में उपचुनाव के परिणामों को कांग्रेस के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करने जा रही है।

विपक्ष की रणनीति और भाजपा की आक्रामकता
मुख्यमंत्री का यह बयान कि "डोटासरा के चक्कर में आ गए जूली", यह दर्शाता है कि भाजपा विपक्षी एकता को तोड़ने और कांग्रेस में अंतर्विरोध को उजागर करने की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं, कांग्रेस के लिए यह जरूरी होगा कि वह अपनी गुटबाजी को खत्म कर एक संगठित विपक्ष की भूमिका निभाए, वरना भाजपा अपने राजनीतिक एजेंडे को मजबूती से आगे बढ़ाने में कामयाब हो जाएगी।

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