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 राजस्थान

 राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था की खस्ता हालत को लेकर शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी पर चिंता जताई और सरकार से जवाब मांगा।

शिक्षकों के खाली पदों के चौंकाने वाले आंकड़े
भाटी ने अपनी पोस्ट में बताया कि प्रदेश में 9वीं से 12वीं तक के 28% शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं, जबकि जैसलमेर में यह आंकड़ा 52% और बाड़मेर में 48% तक पहुंच चुका है। सीमावर्ती और आदिवासी क्षेत्रों में स्थिति और भी दयनीय बनी हुई है।

उन्होंने कहा, राइजिंग राजस्थान का सपना तभी पूरा होगा, जब हमारे युवा स्किल्ड होंगे, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षकों की भारी कमी है।

महिला शिक्षा पर भी उठाए सवाल
भाटी ने राज्य में बेटियों की शिक्षा को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि हर साल सरकार ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ अभियान में अव्वल आने का दावा करती है, लेकिन दूर-दराज के इलाकों में छात्राओं को शिक्षा के अवसर कम मिलते हैं और महिला शिक्षकों की भी भारी कमी है।

‘शिक्षा से वंचित पीढ़ी समाज के लिए खतरा’
भाटी ने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि बच्चों को विज्ञान शिक्षक, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और उचित अवसर नहीं मिलेंगे, तो यह समाज के लिए गंभीर समस्या बन सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि शिक्षा से वंचित पीढ़ी अपराध या गंभीर बीमारियों के दुष्चक्र में फंस सकती है, जिससे पूरे समाज पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

सीमावर्ती इलाकों में विशेष ध्यान देने की मांग
सीमावर्ती इलाकों की शिक्षा को लेकर उन्होंने सरकार से सवाल किए और लिखा कि “सीमा के इलाके सिर्फ हमारी मिट्टी की सुरक्षा नहीं करते, बल्कि हमारी विरासत और परंपराओं को भी बचाते हैं। ऐसे में यहां शिक्षा को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है।”

अपने पोस्ट के अंत में भाटी ने शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार से जल्द से जल्द शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने और शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की मांग की। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने और ठोस कदम उठाने की अपील की।

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