Corruption worth crores took place in the Rs. 1500 crore Kusum Kisan Solar Pump Scheme run by Energy Development Corporation
- वर्ष 2017 से 19 के बीच 14000 किसानों ने सोलर पंप योजना के
- लिये जमा की करोड़ों रूपयों की राशि, फिर भी खा रहे किसान दर-दर की ठोकरें
मोहन यादव सरकार किसानों को सोलर पंप लगाने दिखा रही झूठे सपने : कांग्रेस का आरोप
भोपाल। एक तरफ़ भाजपा की मोहन यादव सरकार किसानों को तीन वर्षों में 30 लाख सोलर पंप लगाने का कपोल कल्पित दिवा स्वप्न दिखा रही हैं, वहीं दूसरी और मध्यप्रदेश के पंजीकृत 46 हज़ार किसान 2017 से अपने खेतोँ में सोलर पंप लगाने का इंतजार कर रहे है।
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- वर्ष 2017 से 2019 के मध्य खेतों में सोलर पंप लगवाने के लिए कुल 46,000 लोगों ने सोलर पंप योजना के लिए पोर्टल पर आवेदन किया। इनमें से 14,000 किसानो ने पंजीकरण के लिए 5,000 रूप्ये का भुगतान किया, कुछ ने रजिस्ट्रेशन के साथ क्रमशः 3 एचपी के सोलर पंप के लिए 32,000 रूप्ये व 5 एचपी के लिए 72,000 रुपए की राशि जमा करायी थी। कुल 46,000 किसानों के आवेदनों में से 2,200 को ही उनके खेतों में पंप स्थापित कर के दिए गए हैं, जबकि शेष आवेदक पिछले 6 वर्षों से स्थापना का इंतजार कर रहे हैं।
- सरकार के प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर योजना के लाभ के लिए किसानों ने बढ़-चढ़कर रजिस्ट्रेशन करवाया था। सालों बाद तक पंप नहीं मिलने पर ठगा सा महसूस करने लगे तभी से शुरू हुआ ऊर्जा विकास निगम द्वारा किसानों को नित नये बहाने बनाकर भटकाया जा रहा है।
- वर्त्तमान में 15000 करोड़ रूपये के फाइनल होने वाले सोलर पंप योजना टेंडर में जिस तरह से बार-बार फेरबदल कर अपनी चहेती कंपनियों का समावेश किया जा रहा है, उससे व्यापक घोटाले के संकेत मिल रहे हैं।
सिलसिलेवार समझे
- सरकार के प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर योजना के लाभ के लिए किसानों ने बढ़-चढ़कर रजिस्ट्रेशन करवाया था। सालों बाद तक पंप नहीं मिलने पर ठगा सा महसूस करने लगे तभी से सिलसिला शुरू हुआ किसानों द्वारा ऊर्जा विकास निगम के चक्कर काटवाने का।
- अब नये सिरे से ऊर्जा विभाग द्वारा 5 अगस्त 2024 को पुनः टेंडर किये गए। लगभग 1500 करोड़ के टेंडर में कई नई शर्तें का समावेश किया गया। टेंडर में 57 ठेकेदारों ने पार्टिसिपेट किया। टेंडर की टर्म्स कंडीशन के आधार पर 57 में से कमेटी द्वारा 32 से अधिक ठेकेदारों को अपात्र घोषित कर दिया गया।
- ऊर्जा विकास निगम के उच्च अधिकारियों ने 5 अगस्त 2024 को निकाले गए टेंडर की कंडीशन के अनुसार अपात्र ठेकेदारों को शामिल करवाने हेतु 15 जनवरी 2025 को बोर्ड के ठहराव क्रमांक 193 की बेठक में टेन्डर की टर्म्स कंडीशन में बदलाव कर दिये जिस से अपात्र ठेकेदार पात्र हो जायें।
- एक माह बाद 16 फरवरी 2025 को पुनः स्थापित बोर्ड मीटिंग के ठहराव क्रमांक 194 की बैठक ने 32 अपात्र ठेकेदारों मे से 25 ठेकेदारों के टेंडर को स्वीकृति प्रदान कर दी।
- अब तक 30 प्रतिशत केंद्र व 30 प्रतिशत राज्य सरकार अनुदान राशि देती थी लेकिन इस बार 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाना प्रस्तावित किया गया है। इतने बड़े अनुदान की स्वीकृति कैबिनेट के माध्यम से करवा ली गयी है। जबकि सोलर पंप लगाने के लिए प्रदेश के 46 हजार किसान आज भी इंतजार कर रहे हैं।
किसानों को खामियाजा:-
किसानों द्वारा 2017-19 में सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई का विकल्प चुना गया। दुर्भाग्य से पूर्ण भुगतान करने के बावजूद विगत छह सात सालों से वे सोलर पंप की सुविधा के साथ सिंचाई से वंचित रहे। जिसका खामियाजा उन्हें खेती के लिये उपयोग की गयीं बिजली के भारी भरकम बिल चुकाने पड़े।
निगम द्वारा यदि टेंडर नोटिफिकेशन के पूर्व ही टेंडर की टर्म्स कंडीशन्स में बदलाव कर दिया जाता तो लगभग सौ से अधिक ठेकेदार टेंडर में भागीदारी करते जिस से ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कम दरों पर सोलर पम्प प्रदाय होते फलस्वरूप किसानों व सरकार को मेहँगे पंपस खरीदने पर आर्थिक हानि नहीं होती है।
वर्तमान परिदृश्य में केंद्र व राज्य सरकार की सभी योजनाओं के तहत हितग्राहियों को सीधे उनके खातों में सब्सिडी का भुगतान किया जाता रहा है किंतु वर्तमान टेंडर में ठेकेदारों को निगम के माध्यम से भुगतान किया जाना क्या निगम की नीयत पर प्रश्न खड़े करता है?
(प्रत्येक पंप ओर सोलर की लागत 2.7 लाख रूपये, जीएसटी है, और स्थापना शुल्क सहित)
इस टेंडर द्वारा 52,000 रूपये किसानों को उपलब्ध कराने का टारगेट है। इस टेंडर का कुल बजट लगभग 15,000 करोड़ रूपये है। जिसमें भारी भ्रष्ट्रचार करने की निगम की इस टेंडर के माध्यम से तैयारी हैं। ऊर्जा विभाग द्वारा 5 अगस्त 2024 को पुनः टेंडर किये गए। जिसमें लगभग 1500 करोड़ के टेंडर में कई नई शर्तें का समावेश किया गया है जो भारी भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है।
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