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भोपाल
प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में अब विद्यार्थियों के साथ मारपीट या शारीरिक सजा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश का पालन न करने वाले शिक्षकों व प्राचार्यों पर अनुशासनात्मक एवं कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अनुशंसा की थी। इस संबंध में विभाग ने सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने ऐसी शिकायतें आने पर संबंधित शिक्षकों को कार्रवाई के लिए कहा है। जिलों में होने वाली ऐसी घटनाओं की जानकारी भी तत्काल विभाग को भेजे जाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने शारीरिक दंड पर प्रतिबंध और कठोर कार्रवाई के निर्देश जारी किए। इसके लिए बाल आयोग ने चार फरवरी को स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था।

स्कूल और शिक्षक के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई
डीपीआई ने निर्देश जारी करते हुए विद्यार्थियों के साथ स्कूलों में शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना और भेदभाव की शिकायतों पर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। निर्देश में कहा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना और भेदभाव पूरी तरह से प्रतिबंधित है और यह धारा 17 (2) के तहत दंडनीय अपराध भी है।इसके अलावा, आईपीसी की धारा 323 के तहत शारीरिक दंड पर प्रतिबंधित है। पत्र में कहा है कि सभी जिलों में चल रहे सरकारी और निजी स्कूलों में मारपीट, शारीरिक दंड जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए प्रयास किए जाएं। सभी डीईओ को यह निर्देश भी जारी किए गए हैं कि किसी भी स्कूल या शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों को शारीरिक दंड या पीटने जैसे मामलों में तत्काल कार्रवाई करते हुए कानूनी कार्रवाई भी की जाए।

 

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