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इंदौर
 मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में शुक्रवार को एक सामूहिक विवाह समारोह में बाल विवाह का मामला सामने आया। अधिकारियों ने 36 नाबालिग जोड़ों की शादी रुकवा दी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गठित फ्लाइंग स्क्वाड के प्रमुख महेंद्र पाठक ने यह जानकारी दी। यह घटना देपालपुर तहसील के बछोड़ा गांव में हुई। नाबालिग लड़के और लड़कियों की शादी करवाई जा रही थी। सूचना मिलने पर अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की।

महेंद्र पाठक ने बताया कि कुल 49 जोड़ों का विवाह हो रहा था। जांच में पता चला कि इनमें से 36 जोड़े नाबालिग हैं। लड़कियों की उम्र 16 से 17 साल के बीच थी और लड़कों की उम्र लगभग 20 साल थी। उन्होंने बताया कि हमने हस्तक्षेप किया और आयोजकों को संभावित कानूनी परिणामों की चेतावनी देने के बाद समारोहों को रोक दिया।
उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई

कानूनी उम्र पूरी करने वाले बाकी 13 जोड़ों को शादी करने की अनुमति दी गई। भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार, विवाह के लिए कानूनी न्यूनतम आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। इस कानून का उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की कठोर कारावास या ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।

कम उम्र में शादी करने पर होता नुकसान

अधिकारियों ने बताया कि नाबालिग जोड़ों के माता-पिता को समझाया गया कि बाल विवाह कानूनन गलत है। उन्हें बताया गया कि कम उम्र में शादी करने से लड़कियों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि वे बाल विवाह को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वे लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं।

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