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लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है।

सपा प्रमुख की यह प्रतिक्रिया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ बयान के जवाब में देखी जा रही है। सीएम योगी कई मंचों पर अपने भाषणों में इस बात का जिक्र करते हुए नजर आए हैं, कि ‘बटेंगे तो कटेंगे’। पहली बार उनका ये बयान पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद हुई हिंसा के बाद आया था। अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधते हुए ‘एक्स’ पर लिखा कि “उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं, इसलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं।”

उन्होंने आगे लिखा, “नकारात्मक-नारे का असर भी होता है, दरअसल इस ‘निराश-नारे’ के आने के बाद, उनके बचे-खुचे समर्थक ये सोचकर और भी निराश हैं कि जिन्हें हम ताकतवर समझ रहे थे, वो तो सत्ता में रहकर भी कमजोरी की ही बातें कर रहे हैं। जिस ‘आदर्श राज्य’ की कल्पना हमारे देश में की जाती है, उसके आधार में ‘अभय’ होता है; ‘भय’ नहीं। ये सच है कि ‘भयभीत’ ही ‘भय’ बेचता है क्योंकि जिसके पास जो होगा, वो वही तो बेचेगा।”

उन्होंने आगे लिखा, “देश के इतिहास में ये नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आखिरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा। देश और समाज के हित में उन्हें अपनी नकारात्मक नज़र और नज़रिये के साथ अपने सलाहकार भी बदल लेने चाहिए, ये उनके लिए भी हितकर साबित होगा। एक अच्छी सलाह ये है कि ‘पालें तो अच्छे विचार पालें’ और आस्तीनों को खुला रखें, साथ ही बांहों को भी, इसी में उनकी भलाई है।”

 

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