MY SECRET NEWS

शिवपुरी
 मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों ने एक बार फिर अभयारण्य की सीमा से बाहर चले गए हैं। कल रात पांच चीतों का समूह पार्क से बाहर निकल गया था। इसे बाद आज सुबह ये शिवपुरी जिले के पोहरी तक पहुंच गए हैं। चीतों को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई है।
चीता धीरा गर्भवती, पखवाड़े भीतर कुनबा बढ़ने की संभावना

कूनो नेशनल पार्क में एक और मादा चीता धीरा गर्भवती है। अगले एक पखवाड़े में उसके संभावित प्रसव से यहां शावकों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। वर्तमान में 10 वयस्क चीते और 19 शावक हैं। इन्हीं में से दो चीता प्रभाष व पावक को मंदसौर के गांधीसागर अभयारण्य भेजा गया है।

नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में 10 मादा चीता थीं। इनमें से जीवित सात मादा चीतों में से अब केवल नाभा चीता ही शेष है, जो गर्भवती नही हुई है। भारत में पैदा हो रहे शावकों की बढ़ती संख्या से चीता पुनर्वास परियोजना को मजबूती मिली है।

दो साल की हो चुकी है मुखी

सबसे पहले ज्वाला चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिसमें से तीन की मौत हो गई थी, जबकि एक मादा शावक मुखी जिंदा बची थी, जो अब दो साल की हो चुकी है। ज्वाला इसके अलावा चार और शावकों को भी जन्म दे चुकी है।

विशेष निगरानी की जा रही है

आशा के तीन, गामिनी के चार, वीरा के दो, निर्वा के पांच शावक हैं। अब मादा चीता धीरा के गर्भवती होने की खुशखबरी से पार्क प्रबंधन ने उसे खुले जंगल से पकड़कर बाड़े में छोड़ा है। सिंह परियोजना के मुख्य वन संरक्षक उत्तम कुमार शर्मा के अनुसार मादा चीता धीरा को बाड़े में रखकर विशेष निगरानी की जा रही है।

बाड़े में 13 चीता हो गए

बाड़े में अब 13 चीता हो गए हैं। धीरा कुछ दिन पहले कूनो की सीमा से बाहर निकलकर कराहल के वन क्षेत्र तक पहुंच गई थी। इसलिए भी एहतियातन यह कदम उठाया गया है। खुले जंगल में ज्वाला के शावकों सहित कुल 16 चीता हैं। दस दिन पहले ही कूनो में निर्वा चीता ने पांच शावकों को जन्म दिया है, जो पूरी तरह स्वस्थ हैं।

पहले भी निकले थे सीमा से बाहर
दरअसल, ज्वाला और उसके चार बच्चे शनिवार शाम को पहली बार कूनो नेशनल पार्क की सीमा से बाहर निकले थे। रविवार दोपहर तक वे वापस जंगल में चले गए थे। लेकिन, रविवार रात को वे फिर से वीरपुर तहसील के श्यामपुर गांव के पास दिखाई दिए। वे श्योपुर-ग्वालियर ब्रॉडगेज रेल ट्रैक से लगभग 1 किलोमीटर दूर थे।

लाठी-डंडे और पत्थर लेकर टूट पड़े गांव वाले
ग्रामीणों ने चीतों को भगाने के लिए लाठियां उठाई। जब चीतों ने गाय पर हमला किया, तो लोगों ने उन्हें पत्थर मारे। सोमवार सुबह, ये पांचों चीते कूनो सायफन के पास से होते हुए कूनो नदी में पहुंचे। वे निर्माणाधीन रेलवे पुल के नीचे काफी देर तक बैठे रहे। इस दौरान, वहां से गुजरने वाले लोग चीतों को देखने के लिए जमा हो गए।

गाय पर हमले से गुस्से में आए ग्रामीण
मादा चीता और उसके बच्चे एक-एक करके रास्ता पार कर रहे थे। तभी उन्होंने एक गाय पर झपट्टा मारा। गाय पर हमला होते देख ग्रामीण गुस्से में आ गए। वे लाठी लेकर दौड़े और चीतों को पत्थर मारने लगे। चीता ज्वाला ने काफी देर तक गाय का गला पकड़ रखा था। लेकिन, जैसे ही उसे पत्थर लगा, उसने गाय को छोड़ दिया और अपने बच्चों के साथ भाग गई।

रेल ट्रैक के पास लगी लोगों की भीड़
घटना के बाद, सुबह लगभग 10 बजे, चीतों का दल कूनो पुल क्षेत्र से निकल वीरपुर के तिललिडेररा क्षेत्र में पहुंच गया। निर्माणाधीन श्योपुर-ग्वालियर ब्रॉडगेज रेल ट्रैक के पास चीतों को देखने के लिए भीड़ जमा हो गई।

एक महीने पहले ही छोड़ा गया था
ज्वाला और उसके शावकों को 21 फरवरी को खजूरी क्षेत्र के जंगल में छोड़ा गया था। एक महीने तक वे पार्क की सीमा में ही रहे। चीतों के बाहर निकलने पर, क्षेत्र के चीता मित्रों और उनकी टीम ने आसपास के लोगों को जागरूक किया। उन्होंने लोगों को बताया कि चीते लोगों पर हमला नहीं करते हैं। उन्होंने लोगों से चीतों को न भगाने और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने की अपील की। बीते दो दिन से चीतों का समूह इस इलाके में डेरा डाले हुए है।

यूजफुल टूल्स
QR Code Generator

QR Code Generator

Age Calculator

Age Calculator

Word & Character Counter

Characters: 0

Words: 0

Paragraphs: 0