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जयपुर.

भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर के पद ग्रहण के समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा था कि सबको साथ लेकर चलो, इन्हें एक करो। राजे का इशारा सीधे-सीधे भाजपा में चल रही गुटबाजी को लेकर था, जिसका शिकार वे खुद भी हुई थीं। इसी गुटबाजी का एक उदाहरण हाल ही में सवाई माधोपुर में देखने को मिला, जब जिला क्रिकेट एसोसिएशन के पद पर जयपुर ग्रामीण के बागी नेता को एसोसिएशन का अध्यक्ष बना दिया गया।

भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी का ही परिणाम रहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को वह जीत नहीं मिल सकी, जिसकी उम्मीद भाजपा ने की थी। बहरहाल सरकार तो बन गई परंतु नए मुख्यमंत्री के चयन के बाद यह गुटबाजी और परवान चढ़ गई, जिसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनावों में 11 सीटें गंवाकर भुगतना पड़ा। अब एक बार फिर से प्रदेश में 5 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। जानकार और खुद पार्टी के नेता इस गुटबाजी को लेकर खुलकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। गुटबाजी के बीच सभी नेता अपने चहेतों को कहीं ना कहीं एडजस्ट करने की जुगत मे लगे हुए हैं। हाल ही  मे सवाई माधोपुर जिला क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव संपन्न हुए, जिसमें जयपुर ग्रामीण के भाजपा के बागी नेता डीडी कुमावत को सवाई माधोपुर से जिला क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बना दिया गया। सूत्रों के अनुसार कुमावत के गॉड फादर कैबिनेट मंत्री उन्हें राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में लाने के लिए बेताब हैं, जबकि सवाई माधोपुर से भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी जो कि विधायक भी हैं, को दरकिनार कर दिया गया। गुटबाजी का आलम यह है कि अपने गृह जिले में भी नेताजी की नहीं चल पाई। जबकि खेलों को राजनीति से दूर रखने और पारदर्शी बनाने की बात भी खुद भाजपा के ही मंत्री करते दिखाई देते हैं।

अब गुटबाजी के चलते भाजपा किस प्रकार उपचुनाव और फिर पंचायत के चुनावों का सामना करेगी यह एक बड़ा सवाल है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पूरा दम लगा कर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता को साधने की मेहनत कर रहे हैं परंतु गुटबाजी के चलते उनके सभी प्रयास विफल होते दिखाई दे रहे हैं।

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