श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी मान लिया है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य में अलगाववादी गतिविधियों में कमी आई है। उन्होंने मीडिया चैनल से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद अलगाववादी राजनीति कमजोर हुई है, इसे कोई नकार नहीं सकता। हुर्रियत चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक को सीआरपीएफ सुरक्षा कवर मिलना पहले असंभव था, यह इस बदलाव का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अगर अलगाववादी राजनीति कमजोर हुई है, तो इसका मतलब है कि स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि उनके इस बयान के बाद जम्मू-कश्मीर में अलग ही विवाद शुरू हो गया है।
सज्जाद लोन बोले, अब्दुल्ला के पास सबसे बड़ी सिक्युरिटी
पिछले साल 16 अंक्टूबर को उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। सत्ता में बैठने के चार महीने बाद उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुए बदलावों पर चर्चा की। अब्दुल्ला ने कहा कि 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में कमी आई है। उन्होंने कहा कि क्या आपने कभी सोचा था कि मीरवाइज को केंद्र से सीआरपीएफ सुरक्षा मिलेगी? मैं तो नहीं सोच सकता था, लेकिन हालात बदल गए हैं। अब अब्दुल्ला के इस बयान पर खूब बवाल मचा है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी उमर को निशाने पर लेते हुए कहा कि मीरवाइज की सुरक्षा का जिक्र करने वाले भूल जाते हैं कि उनके पास सबसे बड़ा सुरक्षा घेरा रहा है। लोन ने अब्दुल्ला के बयान को जानलेवा तक कह दिया।
मीरवाइज को ही उमर अब्दुल्ला ने क्यों बनाया निशाना
हुर्रियत नेता मीरवाइज के ऑफिस ने उमर अब्दुल्ला के बयान को बेतुका और घटिया बताया है। इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान उनके अंदर की असुरक्षा को दिखाता है। पीडीपी एमएलए वहीद पारा ने भी एक्स पर लिखा कि मीरवाइज को अलग से निशाना बनाना उन्हें और खतरे में डालता है। यह जानते हुए भी कि उनके परिवार ने पहले ही भारी कीमत चुकाई है। सच्चाई यह है कि सैकड़ों अन्य लोगों की तरह, कब्रों, मंदिरों और मस्जिदों की भी जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की सुरक्षा की जाती है। तो अगर मीरवाइज की सुरक्षा हो रही है तो इसे मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है? वहीद पारा ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों और एनआईए की कड़ी कार्रवाई के कारण है, न कि अलगाव वादियों के कमजोर होने के कारण।
पहले भी केंद्र सरकार की तारीफ कर चुके हैं सीएम
2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने का फैसला लिया था। सरकार ने एक राष्ट्रपति अध्यादेश जारी किया, जिसने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छीन लिया और अनुच्छेद 35A को निरस्त कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी राज्यसभा में पारित किया गया था। इसके बाद उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रीय दलों ने 370 हटाने का विरोध किया था। अक्टूबर 2024 में पहली बार केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हुए, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस को बड़ी जीत मिली थी। उमर अब्दुल्ला पिछले चार महीने से सीएम हैं। कुर्सी संभालने के बाद वह कई मुद्दों को लेकर अमित शाह से मिले थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में नए कानूनों का क्रियान्वयन की तारीफ की थी।

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