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इंदौर
 महू की 1.8 एकड़ जमीन पर रक्षा मंत्रालय के द्वारा कब्जा लगाने को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने संबंधित विभाग को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा- मंत्रालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का गलत इस्तेमाल किया. मंत्रालय ने याचिकाकर्ता को अपील का मौका दिए बिना जमीन पर कब्जा कर लिया जो गलत है.

हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने आदेश दिया कि जमीन की यथास्थिति बनाई जाए और कब्जा तुरंत याचिकाकर्ताओं को लौटाया जाए. सुनवाई पूरी होने के बाद इंदौर हाई कोर्ट आने वाले दिनों में इस पूरे मामले में आगामी आदेश जारी कर सकता है.

याचिकाकर्ता के पूर्वजों ने 1892 में खरीदी थी यह जमीन

इंदौर हाई कोर्ट में 133 साल पुरानी संपत्ति को लेकर रक्षा मंत्रालय को फटकार लगाई है. बता दें मामला महू में मौजूद तकरीबन 1.8 एकड़ जमीन पर कब्जा करने से संबंधित है. बता दें याचिकाकर्ता अन्ना चंदीरमानी और अरुणा के पूर्वजों ने 1892 में इस जमीन को खरीदा था. लेकिन 1995 में रक्षा मंत्रालय ने बेदखली का नोटिस भेजा. इसको लेकर दोनों बहनों ने जवाब देकर 1997 में सिविल कोर्ट में केस दायर किया. 2022 में कोर्ट ने उनका आवेदन खारिज कर दिया.

इसके बाद 2024 में अपील कोर्ट ने बेदखली पर रोक की उनकी याचिका खारिज कर दी. जिसके बाद दोनों बहनों ने इंदौर हाई कोर्ट का रुख किया. इंदौर हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय की कार्रवाई को अवैधानिक और कानून विरोधी बताया. जस्टिस प्रणय वर्मा की कोर्ट ने मामले की सुनवाई की. अपने आदेश में जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि 24 घंटे में कोई आसमान नहीं टूट पड़ता.

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