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नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा ने शुक्रवार को जाम नगर हाउस में नई दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट से मुलाकात कर कथित मतदाताओं के नाम हटाए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। उनके आरोपों को लेकर शनिवार को नई दिल्ली जिला निर्वाचन अधिकारी की प्रतिक्रिया सामने आई है। नई दिल्ली जिला निर्वाचन अधिकारी के एक्स अकाउंट से एक पोस्ट शेयर कर आरोपों को निराधार बताया गया है। पोस्ट में कहा गया है, "राज्यसभा सांसद संजय सिंह का आरोप है कि जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ), नई दिल्ली ने आपत्तिकर्ताओं का विवरण नहीं दिया और दावा किया कि डीईओ जानबूझकर मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटा रहे हैं, यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है और निराधार है।"

उन्होंने आगे बताया, "भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार, फॉर्म 7 का सारांश, जिसमें ऑब्जेक्टर्स और ऑब्जैक्ट्स दोनों के नाम शामिल हैं, उनको फॉर्म 10 के माध्यम से साप्ताहिक आधार पर ‘आप’ सहित सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाता है। इसके अलावा यह जानकारी सार्वजनिक पहुंच और पारदर्शिता के लिए सीईओ दिल्ली की आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड की जाती है। इसलिए, यह आरोप कि ऑब्जेक्टर्स के नाम साझा नहीं किए जा रहे हैं, वह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं। इसी के तहत फॉर्म 10 की एक प्रति एक्स पर शेयर की गई है, जहां ऑब्जेक्टर्स और ऑब्जैक्ट्स के नामों को स्पष्ट रूप से सत्यापित किया जा सकता है।"

इसके अलावा मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया के बारे में भी बताया गया है। कहा गया, "निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, मतदाता सूची से किसी भी नाम को हटाने की प्रक्रिया सख्ती से की जाती है। यह प्रक्रिया फॉर्म 7 दाखिल करने के साथ शुरू होती है और ऐसे सभी मामलों में बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ), बीएलओ सुपरवाइजर और अन्य अधिकारियों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार एक सत्यापन किया जाता है। सिर्फ नाम हटाने के लिए एक लिस्ट जमा करने से इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं होती है।"

नई दिल्ली जिला निर्वाचन अधिकारी ने संजय सिंह की पत्नी अनीता से संबंधित आरोपों पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा, "एक विशिष्ट उदाहरण को सामने लाने के लिए राज्यसभा सांसद संजय सिंह की पत्नी अनीता के नाम को मतदाता सूची से हटाने के लिए दो अलग-अलग फॉर्म 7 आवेदन दायर किए गए थे। फील्ड वेरिफिकेशन के बाद बीएलओ ने पाया कि वह दिए गए पते पर निवास कर रही हैं और दोनों फॉर्म 7 आवेदन को खारिज कर दिया गया। इसके अलावा फॉर्म 7 को गलत तरीके से दाखिल करने के लिए ऑब्जेक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर की प्रति भी जानकारी के लिए शेयर की गई है।"

उन्होंने आगे कहा, "कई अन्य मामलों में नामों को हटाने के लिए फॉर्म 7 आवेदनों को उचित प्रक्रिया और फील्ड वेरिफिकेशन के बाद खारिज कर दिया गया है। प्रत्येक आवेदन की व्यक्तिगत रूप से जांच की जाती है और अगर अवैध पाया जाता है तो मेरिट के आधार पर खारिज कर दिया जाता है।"

इसके अलावा उन्होंने झूठे आरोपों पर कहा, "यह आरोप कि डीईओ नई दिल्ली जानबूझकर वास्तविक मतदाताओं के नाम हटा रहे हैं, यह आरोप पूरी तरह से निराधार है। मतदाता सूची की अखंडता और सटीकता बनाए रखने के लिए निर्वाचन आयोग के मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए सभी तरह के निर्णय किए जाते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "जिला निर्वाचन कार्यालय मतदाता सूचियों की तैयारी और रखरखाव में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। जनता को आधारहीन दावों के साथ गुमराह करने के किसी भी प्रयास को नियमों के अनुसार, चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता की रक्षा के लिए दृढ़ता से संबोधित किया जाएगा।"

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