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 इंदौर

मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के 5 अफसरों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है. इंदौर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर मध्य प्रदेश सरकार के पांच अफसर मुश्किल में फंस गए हैं. हाईकोर्ट  ने इन सभी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. मामला एक कर्मचारी के वेतनमान से जुड़ा है.

    इंदौर के एक कर्मचारी के पक्ष में हाईकोर्ट ने अप्रैल-2024 में फैसला दिया था. इसके बाद भी  मध्यप्रदेश सरकार ने उसे यह लाभ नहीं दिया. इसी के खिलाफ कर्मचारी ने अवमानना की याचिका लगाई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया.

इनके खिलाफ जारी किया वारंट

हाईकोर्ट ने 12 अगस्त-2024 को हुई सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े पांच अधिकारियों मोहम्मद सुलेमान, दिनेश श्रीवास्तव, विवेक पोरवाल, आरसी पनिका और मनीष रस्तोगी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. 9 सितंबर को मामले में अगली सुनवाई होगी, जिसमें सभी अधिकारियों को पेश होने के लिए कहा है.

वेतनमान नहीं मिला तो ली हाईकोर्ट की शरण

संविदा कर्मियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने एक पॉलिसी बनाई थी, जिसमें 100 पर्सेंट वेतनमान देने का फैसला लिया गया था. ज्यादातर कर्मचारियों को जद में ले लिया और उन्हें वेतनमान मिल भी गया, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कुछ कर्मचारी छूट गए. एक कर्मचारी हैं पार्थन पिल्लई, जो इंदौर में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं. उन्हें वेतनमान नहीं मिला. उन्होंने अफसरों को इस संबंध में बताया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. आखिर में उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली.

    याचिकाकर्ता ने बताया कि कम्प्युटर प्रोग्रामर हूं और एमसीए और एमबीए हूं. पांच साल से संषर्ष कर रहा हूं, कोई सुनवाई नहीं है. अपनी पत्नी के जेवर बेच दिए हैं और इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है.

नवंबर-2023 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया और दूसरे कर्मचारियों की तरह वेतनमान देने के लिए कहा. 4 महीने में वेतनमान मिलना था, लेकिन अप्रैल-2024 तक वेतनमान नहीं मिला तो पार्थन पिल्लई ने अवमानना याचिका कोर्ट में लगाई थी. जिस पर सिंगल बेंच के जज प्रणव वर्मा ने आदेश सुनाया.

 

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