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नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की 2 अप्रैल की समय सीमा समाप्त होने में एक महीने से भी कम समय बचा है. इस बीच ट्रंप ने गत 7 मार्च को दावा किया था कि भारत ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ में कटौती करने पर सहमति जताई है. उन्होंने इसका श्रेय अपने प्रशासन को दिया. ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने यह कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि इस मुद्दे पर आखिरकार कोई उसे एक्सपोज कर रहा है.

हालांकि, केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने ट्रंप के इन दावों को खारिज किया है कि भारत ने टैरिफ में कटौती उनके प्रशासन के दबाव के कारण लिया है. सूत्रों का कहना है कि भारत ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ में कटौती का फैसला राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच पहले से तय व्यापारिक समझौते के कारण लिया है. यह द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से विकसित देशों के साथ व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने के देश के व्यापक प्रयासों के तहत लिया गया फैसला है.
 
भारत ने अन्य देशों के लिए भी घटाए टैरिफ
अतीत में भी भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे जैसे देशों के आयात पर लगने वाले टैरिफ में कटौती कर चुका है. वर्तमान में यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ इसी तरह के समझौतों पर बातचीत चल रही है. केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि अमेरिका आयात पर टैरिफ कम करने के लिए चल रही चर्चा को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए, न कि ट्रंप प्रशासन के दबाव के कारण. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने भारत से कृषि उत्पादों को छोड़कर लगभग सभी वस्तुओं पर टैरिफ हटाने को कहा है. अगर यह मांग मान ली जाती है, तो इसका मतलब होगा कि नई दिल्ली को अपने ट्रेड प्रोटेक्शन को छोड़ना पड़ेगा और बदले में उसे कोई रियायत नहीं मिलेगी. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. पिछले वित्तीय वर्ष में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 118.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था.

मोदी-ट्रंप के ने किया का समर्थन
पिछले महीने, दोनों राष्ट्र इस वर्ष के अंत तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते  के पहले चरण पर बातचीत करने के लिए सहमत हुए थे, जिसका दीर्घकालिक लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है. इस साल फरवरी में पीएम मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री ने इसका समर्थन किया था. दोनों नेताओं ने वार्ता को आगे बढ़ाने और टैरिफ और नॉ-टैरिफ बाधाओं को कम करने की दिशा में काम करने के लिए वरिष्ठ प्रतिनिधियों को नामित करने पर भी सहमति व्यक्त की थी.

इसी सिलसिले में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 3 से 6 मार्च तक वाशिंगटन का दौरा किया. यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक और व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर के साथ बातचीत की. राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच सीमित व्यापार समझौते पर चर्चा हुई थी. हालांकि, विभिन्न कारणों से वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला.

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