MY SECRET NEWS

वाशिंगटन

अमेरिका में पढ़ रहे तीन भारतीय और दो चीनी छात्रों ने अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग और अन्य इमिग्रेशन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। छात्रों का आरोप है कि अधिकारियों ने ‘एकतरफा और गैरकानूनी तरीके से’ उनका F-1 स्टूडेंट वीज़ा स्टेटस रद्द कर दिया, जिससे सैकड़ों नहीं तो हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्र प्रभावित हुए हैं।

यह मुकदमा अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन की ओर से न्यू हैम्पशायर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर किया गया है। याचिका में कहा गया है कि F-1 स्टेटस समाप्त होने के कारण छात्र न केवल अवैध प्रवासी की स्थिति में आ गए हैं, बल्कि उन्हें डिटेंशन, डिपोर्टेशन और गंभीर आर्थिक व शैक्षणिक संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। छात्रों का कहना है कि अब वे अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सकते और ना ही ग्रेजुएशन के बाद मिलने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा ले सकते हैं।

कौन हैं ये छात्र
ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा कराने वाले छात्रों में भारतीय छात्र लिंकिथ बाबू गोरेला हैं। इनका मास्टर्स प्रोग्राम 20 मई को पूरा होना था। लेकिन F-1 स्टेटस रद्द होने से न वे डिग्री प्राप्त कर सकते हैं, न किसी ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा बन सकते हैं। इसी तरह थनुज कुमार और मणिकंता पासुला का केवल एक सेमेस्टर बाकी है, लेकिन कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना डिग्री मिलना असंभव लग रहा है।

दूसरी ओर चीनी छात्र हैंगरुई झांग की आय का एकमात्र स्रोत रिसर्च असिस्टेंटशिप था, जो अब स्टेटस खत्म होने के चलते रोक दिया गया है। हाओयांग एन को $3.29 लाख डॉलर (लगभग 2.75 करोड़ रुपए) की पढ़ाई छोड़नी पड़ सकती है। छात्रों के वकीलों का कहना है कि अमेरिकी सरकार ने वीजा स्टेटस खत्म करने से पहले जरूरी नोटिस या सूचना नहीं दी, जो कानूनन देना अनिवार्य है। याचिका में यह भी कहा गया है कि छात्र नियमों का पालन कर रहे थे, उन्होंने पढ़ाई में उल्लेखनीय प्रगति की, किसी भी अवैध रोजगार से जुड़े हुए नहीं हैं और न ही किसी गंभीर अपराध में दोषी नहीं पाए गए हैं।

यूजफुल टूल्स
QR Code Generator

QR Code Generator

Age Calculator

Age Calculator

Word & Character Counter

Characters: 0

Words: 0

Paragraphs: 0