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टोक्यो
एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि जापान को 2035 तक 3.84 मिलियन श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि प्रतिदिन 17.75 मिलियन घंटे का नुकसान होगा।

जिजी प्रेस ने पर्सोल रिसर्च एंड कंसल्टिंग कंपनी और चुओ यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में दावा किया है, ”2023 की तुलना में श्रमिकों की कमी 1.85 गुना बढ़ने का अनुमान है, ऐसा इसलिए क्योंकि देश में कामगारों के पक्ष में कार्यशैली सुधार नीति बनाई गई है। ये कार्य और जीवन के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए किया गया है, इसकी वजह से ही व्यक्तिगत कार्य घंटों में कमी आई है।”

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने जिजी प्रेस के हवाले से बताया कि मजदूरों की जरूरत जो 2023 में 67.47 मिलियन थी वो 2035 में बढ़कर 71.22 मिलियन होने की उम्मीद है। इसमें महिलाएं, बुजुर्ग कर्मचारी और विदेशी नागरिक शामिल होंगे। इसके साथ ही विदेशी श्रमिकों की संख्या में भी वृद्धि होने का अनुमान है और ये 2.05 मिलियन से बढ़कर 3.77 मिलियन हो जाएगा।

हालांकि, 2035 तक प्रति व्यक्ति औसत काम के घंटों में 8.8 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण कामगारों की ढलती उम्र और जापानी सरकार द्वारा कार्य शैली सुधार नियम है। श्रमिकों की कमी से निपटने के लिए रिपोर्ट में कार्यशैली सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

 

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