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बेंगलुरु
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती और राज्य सरकार में मंत्री भैरती सुरेश को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया है. इस फैसले को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. ED ने दोनों को कुछ वित्तीय मामलों में पूछताछ के लिए समन भेजा था, जिसे अब हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने ED द्वारा जारी समन पर अंतरिम रोक लगाई थी, लेकिन अब इस समन को रद्द कर दिया है. यह समन मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) भूमि आवंटन घोटाले से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने जनवरी के महीने में पूर्व MUDA आयुक्त डीबी नटेश को भेजे गए समन को भी रद्द कर दिया था. जस्टिस हेमंत चंदनगौडर की बेंच ने ED की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए कहा था कि 28 और 29 अक्टूबर को नटेश के बयान दर्ज करना नियमों के खिलाफ था. नटेश ने PMLA के तहत की गई तलाशी और समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

700 करोड़ के भूमि घोटाले में जांच जारी
अक्टूबर 2024 में ED ने MUDA भूमि घोटाले की जांच शुरू की थी, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती और उनके भाई बीएम मल्लिकार्जुनस्वामी मुख्य आरोपी हैं. ED ने सिद्धारमैया से जुड़ी कई संपत्तियों और करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. ED ने दिसंबर में लोकायुक्त को पत्र लिखकर 700 करोड़ रुपये से अधिक के भूमि घोटाले में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए थे. ED की जांच में सामने आया कि गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि के डिनोटिफिकेशन में नियमों को ताक पर रखकर मनमानी की गई और बिना विशेषज्ञ रिपोर्ट और उचित समीक्षा के फैसले लिए गए.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस मामले में सिद्धारमैया ने ED की कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि जब लोकायुक्त पहले से ही जांच कर रहा है, तो ED की जांच का कोई औचित्य नहीं है. वहीं, विपक्ष के नेता आर अशोक ने इसे सामान्य कानूनी प्रक्रिया बताया. उन्होंने कहा कि जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे, तब भी CBI, ED और लोकायुक्त की ओर से नोटिस आए थे. यह कोई असामान्य बात नहीं है

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